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जयपुर

एमएसपी से नीचे किसान कपास बेचने को मजबूर

मंडियों में कपास ( Cotton ) की आवक लगातार बढ़ती जा रही है, लेकिन सरकारी खरीद एजेंसी अब तक मंडी नहीं पहुंची है, जिससे किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (minimum support price) से 1000 रुपए प्रति क्विंटल कम भाव पर बेचने को मजबूर है। भारतीय कपास निगम (Cotton Corporation of India) की खरीद शुरू होने की उम्मीद में भाव में तेजी आई थी, लेकिन खरीद शुरू नहीं होने से फिर नरमी आ गई है।

जयपुरOct 06, 2020 / 12:57 pm

Narendra Singh Solanki

एमएसपी से नीचे किसान कपास बेचने को मजबूर

एमएसपी से नीचे किसान कपास बेचने को मजबूर

जयपुर। मंडियों में कपास की आवक लगातार बढ़ती जा रही है, लेकिन सरकारी खरीद एजेंसी अब तक मंडी नहीं पहुंची है, जिससे किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 1000 रुपए प्रति क्विंटल कम भाव पर बेचने को मजबूर है। भारतीय कपास निगम (सीसीआई) की खरीद शुरू होने की उम्मीद में भाव में तेजी आई थी, लेकिन खरीद शुरू नहीं होने से फिर नरमी आ गई है।
डबवाली और सिरसा में कपास का भाव 4700 से 4800 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा है, जबकि केंद्र सरकार ने चालू सीजन के लिए लंबा रेशा कपास का एमएसपी 5825 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है। भट्टी ने किसानों को मजबूरी में एमएसपी से 1000 रुपए प्रति क्विंटल कम भाव कपास बेचना पड़ रहा है, क्योंकि उन्हें मजदूरों की मजदूरी से लेकर बैंकों का कर्ज चुकाना है और अगली फसल की बुवाई के लिए भी पैसों की जरूरत है। कपास ही नहीं, मक्का और धान भी मंडियों में एमएसपी से नीचे के भाव बिक रहा है। हालांकि पंजाब और हरियाणा में एमएसपी पर धान की खरीद 26 सितंबर को ही शुरू हो चुकी है और सरकार की ओर से रोज इसके आंकड़े जारी किए जा रहे हैं। केंद्र सरकार की घोषणा के अनुसार, चालू कपास सीजन 2020-21 (अक्टूबर से सितंबर) में कपास की खरीद की मंजूरी एक अक्टूबर से दी जा चुकी है, जबकि खरीद एजेंसी अभी मंडी नहीं पहुंची है।
हालांकि सूत्र बताते हैं कि कपास की जो अभी फसल मंडियों में आ रही है, उसमें नमी ज्यादा है, जबकि सीसीआई आठ से 12 फीसदी तक ही नमी वाले कपास की खरीद करता है। बाजार सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, उत्तर भारत की मंडियों में बीते सप्ताह कपास का भाव 4900 से 5150 रुपए प्रति क्विंटल तक चला गया था। सूत्र बताते हैं कि पंजाब में सीसीआई कपास की खरीद सोमवार से शुरू कर सकती है। कॉटन बाजार के जानकार ने बताया कि भारतीय कॉटन यानी रूई की इस समय वैश्विक बाजार में जबरदस्त मांग है और चालू सीजन में निर्यात मांग तेज रहने की उम्मीद है, जिससे कॉटन की कीमतों में मजबूती रहेगी। उन्होंने कहा कि कॉटन के दाम में मजबूती रहने से किसानों को आने वाले दिनों में उनकी फसल का अच्छा भाव मिल सकता है।

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