परिवार का मुखिया रामलाल 15 साल पहले लकवे का शिकार हुआ था। बेटी संजू ने बताया कि पिता को अस्पताल से लेकर धार्मिक स्थलों तक दर-दर ले गए लेकिन वह ठीक नहीं हुए। इस बीच परिवार दिनोंदिन आर्थिक संकट से घिरता गया। मां गंगादेवी ठेला लेकर आसपास की कॉलोनियों में सब्जी बेचकर जो कमा रही थी, वह भी दवाओं पर खर्च हो रहा था।
यूं तय हुई शादी की तारीख
संजू ने बताया कि कुछ माह पहले कुछ मददगारों ने संजू की शादी में सहायता करने का भरोसा दिलाया था। इस पर 22 जनवरी को उसकी शादी करना तय हुआ। कार्ड छपवाकर बांट दिए, तब एक-एक कर मददगार पीछे हटते गए। ऐसे में परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। घर का बुरा हाल है और शादी की तारीख सामने खड़ी है।
संजू ने बताया कि कुछ माह पहले कुछ मददगारों ने संजू की शादी में सहायता करने का भरोसा दिलाया था। इस पर 22 जनवरी को उसकी शादी करना तय हुआ। कार्ड छपवाकर बांट दिए, तब एक-एक कर मददगार पीछे हटते गए। ऐसे में परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। घर का बुरा हाल है और शादी की तारीख सामने खड़ी है।
कमाने वाला कोई नहीं संजू ने बताया कि उसके ताऊ भी लकवे से पीडि़त थे, जिनका पिछले साल निधन हो गया। चाचा मूलचंद भी इसी रोग से ग्रस्त हैं। पिता और चाचा दोनों उठ तक नहीं सकते। दोनों को उठाना, हाथ से खाना खिलाना, नहाना पड़ता है। घर में छोटा भाई है, कमाने वाला कोई नहीं है। इसके बावजूद संजू ने पढ़ाई जारी रखी और दो साल पहले बारहवीं उत्तीर्ण करने के बाद मां के साथ काम में हाथ बंटाने लगी। संजू ने बताया कि मां और चाची आपस में बहनें हैं। दोनों मिलकर पिता और चाचा को उठाती-बैठाती और सेवा करती हैं। साथ ही घर चलाने के लिए काम करती हैं। सरकार से कोई सुविधा या मदद मिलना तो दूर, दवाओं के खर्च ने उन्हें गरीबी की अंतिम रेखा में खड़ा कर दिया है।
जो पैसे थे, दवाओं पर खर्च हो गए
संजू की मां गंगादेवी ने बताया कि संजू की शादी के लिए कुछ पैसे जोड़े थे लेकिन वह पति की बीमारी में खर्च हो गए।
संजू की मां गंगादेवी ने बताया कि संजू की शादी के लिए कुछ पैसे जोड़े थे लेकिन वह पति की बीमारी में खर्च हो गए।