प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने जानकारी देते हुए बताया कि शुक्रवार को संयुक्त अभिभावक संघ ने 3 दिनों के अल्टीमेटम के साथ ज्ञापन देने का दौर शुरू किया है, इस ज्ञापन में पिछले 8 महीनों में अभिभावकों ने जिन.जिन पीड़ाओं का सामना किया ह, निजी स्कूल संचालकों की मनमर्जी झेली और राज्य सरकार की अभिभावकों की बेरुखी देखी उस सभी बातों को ध्यान में रखकर यह 15 सूत्रीय मांग पत्र तैयार किया गया। शुक्रवार को कलेक्टर ऑफिस सहित राज्य के शिक्षा मंत्री गोविंद डोटासरा के निवास स्थान पर मुलाकात करने गए थे किंतु मंत्री जी नहीं मिले तो उनके स्टाफ को ज्ञापन पत्र भेंट किया गया। इसी तरह कांग्रेस के एआईसीसी सदस्य संजय बापना को भी ज्ञापन पत्र भेंट किया गया साथ ही राज्य की प्रिंसिपल सेकेट्री शिक्षा विभाग अर्पणा अरोड़ा को भी ज्ञापन उनके पीए के द्वारा दिया गया।
यह हैं संयुक्त अभिभावक संघ की मांगें
: कोरोना में बंद रहे निजी स्कूलों की केवल २५ फीसदी ट्यूशन फीस निर्धारित की जाए।
: सभी अतिरिक्त चार्ज जिनका उपयोग पैरेंट्स और बच्चों ने नहीं किया उन्हें समाप्त किया जाए।
: आनॅलाइन क्लास की गाइडलाइन जारी हो। फीस, समय सीमा और निगरानी तय की जाए।
: वर्ष २०१६ के एक्ट की पालना की जाए।
: हर स्कूल की सभी तरह की फीस वृद्धि पर आगामी पांच साल तक रोक लगे।
: सभी बोर्डों का सिलेबस एक समान हो।
: शिक्षा बोर्ड में होने वाले रजिस्ट्रेशन्र फीस और परीक्षा की तारीख का निर्धारण कोर्ट के निर्णय के
मुताबिक हो।
: निजी स्कूलों में ट्रांसफर सर्टिफिकेट की बाध्यता समाप्त हो।
: यदि इस वर्ष जीरो सेशन होता है तो अभिभावकों द्वारा किसी भी मद में दी गई फीस को अगले साल
समायोजित किया जाए।
: निजी स्कूलों की तर्ज पर सरकारी स्कूलों में भी पढ़ाई सुनिश्चित की जाए।
: सरकारी और आरटीई के तहत निजी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई के संसाधन सरकार और स्कूल उपलब्ध करवाएं।
: निजी स्कूलों के रिजर्व, सरप्लस फंड व सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता को सार्वजनिक किया जाए।
: सभी निजी स्कूलों की ट्यूशन फीस का निर्धारण कुल फीस में परसेंटेज के आधार पर किया जाए।
: वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए ही स्कूल खोलने के आदेश दिए जाएं।
: जब तक कोरोना का इलाज सुनिश्चित ना हो स्कूल ना खोले जाएं।
: इन सभी मांगों की क्रियान्विति, जांच के लिए सरकार एक एजेंसी का गठन रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में करे।
: कोरोना में बंद रहे निजी स्कूलों की केवल २५ फीसदी ट्यूशन फीस निर्धारित की जाए।
: सभी अतिरिक्त चार्ज जिनका उपयोग पैरेंट्स और बच्चों ने नहीं किया उन्हें समाप्त किया जाए।
: आनॅलाइन क्लास की गाइडलाइन जारी हो। फीस, समय सीमा और निगरानी तय की जाए।
: वर्ष २०१६ के एक्ट की पालना की जाए।
: हर स्कूल की सभी तरह की फीस वृद्धि पर आगामी पांच साल तक रोक लगे।
: सभी बोर्डों का सिलेबस एक समान हो।
: शिक्षा बोर्ड में होने वाले रजिस्ट्रेशन्र फीस और परीक्षा की तारीख का निर्धारण कोर्ट के निर्णय के
मुताबिक हो।
: निजी स्कूलों में ट्रांसफर सर्टिफिकेट की बाध्यता समाप्त हो।
: यदि इस वर्ष जीरो सेशन होता है तो अभिभावकों द्वारा किसी भी मद में दी गई फीस को अगले साल
समायोजित किया जाए।
: निजी स्कूलों की तर्ज पर सरकारी स्कूलों में भी पढ़ाई सुनिश्चित की जाए।
: सरकारी और आरटीई के तहत निजी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई के संसाधन सरकार और स्कूल उपलब्ध करवाएं।
: निजी स्कूलों के रिजर्व, सरप्लस फंड व सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता को सार्वजनिक किया जाए।
: सभी निजी स्कूलों की ट्यूशन फीस का निर्धारण कुल फीस में परसेंटेज के आधार पर किया जाए।
: वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए ही स्कूल खोलने के आदेश दिए जाएं।
: जब तक कोरोना का इलाज सुनिश्चित ना हो स्कूल ना खोले जाएं।
: इन सभी मांगों की क्रियान्विति, जांच के लिए सरकार एक एजेंसी का गठन रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में करे।