scriptफिल्म पद्मावत विवाद: राजस्थान में रिलीज़ को लेकर सभी की नज़र डिस्ट्रीब्यूटर्स पर, जानिए क्या ले रहे फैसला? | Film Padmavat Controversy Rajasthan Distributors to showcase on risk | Patrika News
जयपुर

फिल्म पद्मावत विवाद: राजस्थान में रिलीज़ को लेकर सभी की नज़र डिस्ट्रीब्यूटर्स पर, जानिए क्या ले रहे फैसला?

Supreme Court Decision on Padmavat Controversy: फिल्म वितरक नहीं है एकमत, निर्माता अपनी रिस्क पर रिलीज करने की तैयारी में

जयपुरJan 19, 2018 / 10:55 am

Nakul Devarshi

padmavat
फिल्म पद्मावत को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान से जरूर बैन हटा दिया है, लेकिन अभी यहां रिलीज को लेकर वितरक आशंकित है। अभी तक एक भी फिल्म वितरक ने राजस्थान के किसी भी शहर में इसे रिलीज करने के लिए सहमति नहीं दी है। एेसे में निर्माता अपनी रिस्क पर इसे रिलीज करने की प्लानिंग में लगे हुए हैं।
जयपुर शहर के वितरकों की मानें तो विरोध को देखते हुए फिल्म का राजस्थान में रिलीज होना आसान नहीं है, लेकिन कोर्ट के फैसले को आधार बनाकर निर्माता रिलीज को लेकर राजस्थान में एक टीम भेजकर इसे प्रदर्शित करने की तैयारी में लगे हुए है।
सिनेमा के लिहाज से सुप्रीम कोर्ट का अच्छा फैसला है, यह राजस्थान में भी रिलीज होनी चाहिए। यदि कोई डिस्ट्रीब्यूटर राजस्थान में इसे नहीं लेता है, तो प्रोड्यूसर मुम्बई से किसी को यहां रिलीज के लिए अपॉइंट करेंगे।
-राज बंसल, फिल्म वितरक
काफी समय से इस फिल्म को लेकर संशय बना हुआ था। लेकिन अब फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर्स के लिए भी रास्ते खुल गए है। अब फिल्म रिलीज हो सकेगी और दर्शक फिल्म देख सकेंगे।
-आरके शारा, फिल्म वितरक
अभी तक किसी भी डिस्ट्रीब्यूटर ने इस फिल्म को नहीं लिया है, एेसे में इसकी राजस्थान में रिलीज होने की संभावनाओं पर प्रश्नचिन्ह है। ‘जोधा अकबर’ जब यहां रिलीज नहीं हो पाई थी, तो यह तो मुश्किल लग रहा है।
-नदूं झालानी, फिल्म वितरक
सुप्रीम कोर्ट ने दिया है अंतरिम आदेश
‘पद्मावत’ फिल्म सभी राज्यों में रिलीज होगी। फिल्म की रिलीज रोकने के 4 राज्यों के नोटिफिकेशन पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। कोर्ट ने बाकी राज्यों से भी कहा है कि वो इस तरह का आदेश जारी न करें। गुजरात, मध्य प्रदेश , राजस्थान और हरियाणा ने अपने यहां फिल्म की रिलीज रोकने के आदेश जारी किए थे।
उधर, अनेक राज्य सरकारों ने फैसले का अध्ययन और समीक्षा करने के बाद ही कोई निर्णय लेने की बात कही है। दूसरी तरफ राजपूत समाज के संगठनों ने फैसले के बाद फिल्म के प्रदर्शन पर रोक की मांग करते हुए विरोध दर्ज कराया है।
कोर्ट का मत
अदालत ने कहा कि पहली नजऱ में ये मामला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक का है। जब केंद्रीय फिल्म सर्टिफि केशन बोर्ड ने फिल्म को अनुमति दी है तो राज्य रोक नहीं लगा सकते। इसके लिए कानून-व्यवस्था की दलील देना गलत है, व्यवस्था बनाए रखना राज्य सरकार का काम है। वो फिल्म के प्रदर्शन से जुड़े लोगों को सुरक्षा दे।
फिल्म निर्माताओं के तर्क
कोर्ट ने फिल्म निर्माताओं की तरफ से पेश वरिष्ठ वकीलों हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी की दलीलों को स्वीकार किया। दोनों ने बताया कि इससे पहले 2011 में प्रकाश झा की फि ल्म ‘आरक्षण’ की रिलीज यूपी में रोकने के सरकारी आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किया था। अगर किसी को सेंसर बोर्ड के सर्टिफिकेट से दिक्कत हो तो वो ट्रिब्यूनल में अपील कर सकता है। राज्यों को रिलीज रोकने का अधिकार नहीं है।
एएसजी ने किया सुनवाई टालने का आग्रह
दो राज्यों के लिए पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से बार बार आग्रह किया कि वो मामले की सुनवाई टाल दे। मेहता ने कहा कि निर्माता कह रहे हैं कि फिल्म 25 जनवरी को रिलीज होनी है। एक-दो दिन सुनवाई टालने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। सेंसर बोर्ड का काम फि ल्म को सर्टिफि केट देना है। उसे किसी राज्य की विशेष स्थितियों का पता नहीं होता। कोर्ट कम से कम हमें अपनी बात रखने का मौका तो दे।
कोर्ट ने ठुकराई मांग, अगली पेशी 26 मार्च को
कोर्ट ने सुनवाई टालने की मांग ठुकरा दी। सुनवाई की अगली तारीख 26 मार्च तय की गई है। साफ है कि अब ‘पद्मावत’ के रिलीज होने में कोई अड़चन नहीं है।
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