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जयपुर

झूठा कहीं का: झूठ के इस झमेले में ना पड़ें तो बेहतर है

ओमकार कपूर और सनी सिंह अभिनीत फिल्म ‘झूठा कहीं का’ में झूठ का जबरदस्त तड़का है लेकिन झूठ के इर्द-गिर्द बुनी गई यह कहानी दर्शकों का एंटरटेन करने में सफल नहीं हो पाती।

जयपुरJul 19, 2019 / 02:08 pm

Aryan Sharma

jaipur

झूठा कहीं का: झूठ के इस झमेले में ना पड़ें तो बेहतर है

डायरेक्शन: समीप कंग
राइटिंग: वैभव सुमन, श्रेया श्रीवास्तव
म्यूजिक: यो यो हनी सिंह, राहुल-संजीव-अजय, अमजद नदीम, काशी रिचर्ड, सिद्धांत माधव
सिनेमैटोग्राफी: आकाशदीप पांडे
एडिटिंग: अशफाक मकरानी
रनिंग टाइम: 132.56 मिनट
स्टार कास्ट: ऋषि कपूर, जिमी शेरगिल, ओमकार कपूर, सनी सिंह, निमिषा मेहता, रुचा वैद्य, मनोज जोशी, लिलेट दुबे, राजेश शर्मा, राकेश बेदी आइटम नंबर: सनी लियोनी
आर्यन शर्मा/जयपुर. कहते हैं किसी भी रिश्ते में झूठ और छल-कपट नहीं होना चाहिए लेकिन फिर भी हमारे आस-पास बहुत से ऐसे लोग होते हैं, जो बात-बात पर झूठ बोलते हैं। इतना ही नहीं, कई बार अपने एक झूठ को छिपाने के लिए उन्हें सैकड़ों झूठ बोलने पड़ते हैं, जिससे झंझट बढ़ता ही जाता है। यानी एक झूठ सौ झमेले वाली परिस्थिति बन जाती है। निर्देशक समीप कंग की फिल्म ‘झूठा कहीं का’ में भी नायक झूठ का जाल बुनते हैं, जिसमें वे खुद ही उलझ जाते हैं। कहानी दो दोस्तों वरुण (ओमकार कपूर) और करण (सनी सिंह) की है, जो मॉरीशस में रहते हैं और जॉब सर्च कर रहे हैं। सोनम (रुचा वैद्य), करण की गर्लफ्रेंड है और उससे शादी करना चाहती है। करण का भाई टॉमी पांडे (जिमी शेरगिल) फ्रॉड केस में जेल में है, पर करण ने सोनम को बता रखा है कि वह अमरीका में हैं और उनके लौटते ही शादी की बात कर लेंगे। इधर, वरुण का दिल रिया (निमिषा मेहता) पर आ जाता है। वरुण खुद को अनाथ बता उससे शादी कर लेता है और घर जमाई बनकर रहने लगता है। कहानी में ट्विस्ट तब आता है, जब वरुण के पिता योगराज सिंह (ऋषि कपूर) ब्रदर-इन-लॉ कोका (राजेश शर्मा) व उसकी वाइफ के साथ पंजाब से मॉरीशस आ धमकते हैं और रिया के पैरेंट्स के घर ही किरायेदार बन जाते हैं।
घिसे-पिटे फॉर्मूले की स्क्रिप्ट इरिटेट ही करती है
स्क्रिप्ट में ताजगी की कमी खलती है। स्क्रीनप्ले क्रिस्प नहीं बल्कि कन्फ्यूजिंग है। इस वजह से कहानी की सिचुएशंस कॉमेडी कम क्रिएट करती हैं, जबकि उन्हें देखकर खीझ ज्यादा होती है। कुछ कॉमिक पंच को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर डायलॉग्स बेअसर हैं। ऐसे फनी मोमेंट्स बेहद कम हैं, जो हंसा-हंसा कर लोट-पोट कर दें। ‘चक दे फट्टे’, ‘कैरी ऑन जट्टा’ जैसी पंजाबी फिल्में बना चुके समीप का निर्देशन लचर है। घिसी-पिटी कहानी पर उन्होंने करीब सवा दो घंटे की फिल्म तो खींची, पर मूवी से ऑडियंस को कनेक्ट कर पाने में नाकाम रहे। ‘प्यार का पंचनामा 2’ फेम ओमकार और सनी सिंह की परफॉर्मेंस ठीक-ठाक है। ऋषि कपूर का अभिनय अच्छा है, खासकर राजेश शर्मा के साथ उनकी नोक-झोंक भरी जुगलबंदी जानदार है। दोनों लीड एक्ट्रेस निमिषा और रुचा को फिल्म में ज्यादा स्क्रीन स्पेस नहीं मिला है। जिमी का काम ठीक है, पर वह इस तरह के रोल में टाइपकास्ट हो गए हैं। मनोज जोशी, लिलेट दुबे व राकेश बेदी की एक्टिंग सराहनीय है। गीत-संगीत औसत है। सिनेमैटोग्राफी अच्छी है, पर संपादन सुस्त है।
क्यों देखें:‘झूठा कहीं का’ अपने शीर्षक के अनुरूप ही है यानी इसे एंटरटेनिंग कॉमेडी मूवी कहना किसी झूठ से कम नहीं है। खैर, ऋषि कपूर एक गैप के बाद इस फिल्म के जरिए बड़े पर्दे पर नजर आए हैं, इसलिए फिल्म देख सकते हैं, वरना नजरअंदाज कर देना ही बेहतर है।
रेटिंग: 1.5 स्टार

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