कहानी में ताजगी का अभाव है। पटकथा बेतरतीब और नीरस है, जो आरंभ से अंत तक बांधे रखने में विफल है। कपिल वर्मा का निर्देशन लचर है। एक्शन सीक्वेंस भी ‘चरबा’ ही हैं, यानी नया कुछ नहीं है। संवाद बेअसर हैं। म्यूजिक और बैकग्राउंड स्कोर कमजोर है। सिनेमैटोग्राफी ठीक है, लेकिन एडिटिंग में गुंजाइश है। एक्शन ‘अवतार’ में आदित्य रॉय कपूर की फिजिक तो अच्छी है, पर उनका किरदार सलीके से नहीं गढ़ा गया। संजना सांघी महज एक एक्शन सीक्वेंस में जंची हैं, उसके अलावा उनके पास करने को कुछ खास नहीं है। आशुतोष राणा भरोसेमंद हैं। छोटे-से रोल में जैकी श्रॉफ इम्प्रेसिव हैं। प्रकाश राज कुछ अलग नहीं करते हैं। मां की भूमिका में प्राची शाह ठीक हैं। बहरहाल, ‘रक्षा कवच ओम’ को देखना अपने कीमती समय और मेहनत की कमाई को व्यर्थ लुटाने जैसा है।
रेटिंग: *