डीजीजीआई, जयपुर के एडीजी राजेंद्र कुमार के अनुसार मामले में 20 से अधिक ऐसी फर्म पाईं गई हैं जो फर्जी बिल जारी कर रही थीं और इन नकली चालान में कुल 1004.34 करोड़ रुपए के चालान का खुलासा हुआ है , जिसमे कुल आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) 146.08 करोड़ का फर्जीवाड़ा किया गया है। डीजीजीआई, जयपुर द्वारा किसी कार्रवाई में उजागर हुई ये अब तक कि सबसे बड़ी राशि है। यह राशि प्रारंभिक जांच में उजागर हुई है और बाद में बढ़ सकती है।
मामले में वैशाली नगर, जयपुर निवासी विष्णु गर्ग इन सब फर्जी बिलों के जारी करने में मास्टरमाइंड पाया गया है और उसने कुल 200 फर्मों को चालान जारी किए, जो राजस्थान, मध्यप्रदेश और तेलंगाना व अन्य राज्यों में स्थित हैं।
उन्होंने मुख्य रूप से टिम्बर, स्क्रैप, प्लाईवुड और गोल्ड आदि के संबंध में बिल जारी किए। अब तक की जांच में पता चला है कि उन्होंने उक्त फर्मों को माल की वास्तविक आपूर्ति के बिना फर्जी चालान के आधार पर आईटीसी के फर्जी तरीके से पारित करने के एकमात्र उद्देश्य के लिए बनाया था। डीजीजीआई राजेंद्र कुमार का दावा है कि इस तरह विष्णु गर्ग ने अब तक कुल राशि रु 4.05 करोड़ इस मामले में जमा किए हैं।
विष्णु गर्ग के खिलाफ 21.01.2021 को विभाग के द्वारा उनके घर और दूसरे कार्यालयों में तलाशी की कार्यवाही की गई थी और वहां से विभिन्न कूटरचित दस्तावेज जब्त किए। मामले में अब तक विष्णु गर्ग, बद्री लाल माली, महेंद्र सैनी और सी.ए. भगवान सहाय गुप्ता को आज सीजीएसटी अधिनियम की धारा 69 के तहत किए गए अपराधों के लिए तहत गिरफ्तार किया गया है, जो दंडनीय एवं गैर-जमानती अपराध हैं।