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जयपुर

कई चुनावों से कांग्रेस के लिए सिरदर्द बनीं पांच सीटों पर क्या लगेगी सेंध

झालावाड़-8, बीकानेर-3, चूरू-4, दौसा-2, जालोर में 3 बार से कांग्रेस की हार , क्या इस बार इन सीटों में सेंध लगा पाएगी कांग्रेस?

जयपुरMay 18, 2019 / 01:08 pm

firoz shaifi

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जयपुर। प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों पर दो चरणों में 6 मई को चुनाव संपन्न हो गए और अब 23 मई को आने वाले चुनाव परिणाम का इंतजार किया जा रहा है। कांग्रेस पार्टी ने भी माइक्रो मैनेजमेंट के जरिए पूरी शिद्दत के साथ चुनाव लड़ा है और मिशन 25 को जीतने का दावा किया है। लेकिन राज्य में लोकसभा की पांच सीटें ऐसी भी हैं जो कांग्रेस के लिए किसी सिरदर्द से कम नहीं रही है।
लाख कोशिशों के बावजूद भी इन सीटों पर पार पाना कांग्रेस के लिए सपने के जैसा ही रहा है। हाल ये है कि 2009 में राज्य में कांग्रेस की लहर होने के बावजूद इन सीटों पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था। 2009 में कांग्रेस के खाते में 25 में से 20 सीटें गईं थी। दरअसल जिन सीटों पर पार्टी को लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है उनमें बारां-झालावाड़, बीकानेर, चूरू, दौसा2, जालोर-सिरोही लोकसभा सीट हैं। पार्टी सूत्रों की माने तो लगातार हार के चलते चुनाव के दौरान इन सीटों पर खास फोकस रखा गया था।

लेकिन इन सीटों पर क्या पार्टी इस सेंध लगा पाएगी, ये सवाल इन दिनों कांग्रेस के राजनीतिक गलियारों में चर्चा विषय बना हुआ है। पार्टी के शीर्ष नेताओं ने भी खासकर इन सीटों का बूथवाइज फीडबैक मांगा है। इन सीटों के पिछले रिकार्ड की बात करें तो बारां झालावाड़ में कांग्रेस पार्टी को लगातार 8 बार, बीकानेर 3, चूरू-4, दौसा-2, जालोर-सिरोही में लगातार 3 बार से हार का सामना करना पड़ रहा है। इस बार हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने बारां-झालावाड़ से प्रमोद शर्मा, बीकानेर से मदन मेघवाल, चूरू से रफीक मंडेलिया, दौसा से सविता मीणा और जालोर-सिरोही से रतन देवासी को चुनाव मैदान में उतारा था।

झालावाड़, चूरू, सिरोही बड़ी चुनौती
जो सीटें कांग्रेस पार्टी के लिए इस लोकसभा चुनाव में बड़ी चुनौती बनी हुई है उनमें बारा-झालवाड़ सीट है जहां से पार्टी को 1989 से लगातार हार का सामना करना पड़ता आ रहा है। यहां से पांच बार पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और लगातार तीन बार से उनके पुत्र दुष्यंत सिंह सांसद चुने गए और अब चौथी बार फिर से इसी सीट से चुनाव लड़े हैं। वहीं आरक्षित वर्ग से सामान्य में बनी जालोर सिरोही सीट पर पार्टी को लगातार तीन बार से हार सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस पार्टी को यहां आखिरी बार जीत 1999 में मिली। हालांकि पूर्व में पार्टी के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री बूटा सिंह यहां से कई बार सांसद चुने गए हैं।
वहीं शेखावाटी के चूरू में भी 1999 से लगातार चार बार कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ रहा है। वहीं पायलट परिवार के गढ़ के रूप में मशहूर रही दौसा लोकसभा क्षेत्र में सामान्य से आरक्षित होने के बाद लगातार दो बार से पार्टी यहां शिकस्त झेलती आ रही है। 2004 में आखिरी बार यहां से कांग्रेस के सचिन पायलट चुनाव जीते थे।
वहीं सामान्य से रिजर्व हुई बीकानेर लोकसभा सीट पर 1999 में आखिरी बार कांग्रेस को जीत मिली थी। केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल यहां से लगातार सांसद चुनकर आ रहे हैं। 2004, 2009, 2014 के तीन लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ हा है।

दौसा, बीकानेर से कांग्रेस को उम्मीद
वहीं इस बार संपन्न हुए लोकसभा चुनाव की बात करें कांग्रेस पार्टी को दौसा और बीकानेर से खासी उम्मीदें हैं। पार्टी नेता इन दोनों सीटे के परिणाम इस बार अपने पक्ष में आने के मानकर चल रहे हैं। शीर्ष नेताओं को जो फीडबैक मिला है उसमें भी इन दोनों सीटों पर जीत की संभावना जताई गई है।

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