लेकिन इन सीटों पर क्या पार्टी इस सेंध लगा पाएगी, ये सवाल इन दिनों कांग्रेस के राजनीतिक गलियारों में चर्चा विषय बना हुआ है। पार्टी के शीर्ष नेताओं ने भी खासकर इन सीटों का बूथवाइज फीडबैक मांगा है। इन सीटों के पिछले रिकार्ड की बात करें तो बारां झालावाड़ में कांग्रेस पार्टी को लगातार 8 बार, बीकानेर 3, चूरू-4, दौसा-2, जालोर-सिरोही में लगातार 3 बार से हार का सामना करना पड़ रहा है। इस बार हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने बारां-झालावाड़ से प्रमोद शर्मा, बीकानेर से मदन मेघवाल, चूरू से रफीक मंडेलिया, दौसा से सविता मीणा और जालोर-सिरोही से रतन देवासी को चुनाव मैदान में उतारा था।
झालावाड़, चूरू, सिरोही बड़ी चुनौती
जो सीटें कांग्रेस पार्टी के लिए इस लोकसभा चुनाव में बड़ी चुनौती बनी हुई है उनमें बारा-झालवाड़ सीट है जहां से पार्टी को 1989 से लगातार हार का सामना करना पड़ता आ रहा है। यहां से पांच बार पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और लगातार तीन बार से उनके पुत्र दुष्यंत सिंह सांसद चुने गए और अब चौथी बार फिर से इसी सीट से चुनाव लड़े हैं। वहीं आरक्षित वर्ग से सामान्य में बनी जालोर सिरोही सीट पर पार्टी को लगातार तीन बार से हार सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस पार्टी को यहां आखिरी बार जीत 1999 में मिली। हालांकि पूर्व में पार्टी के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री बूटा सिंह यहां से कई बार सांसद चुने गए हैं।
दौसा, बीकानेर से कांग्रेस को उम्मीद
वहीं इस बार संपन्न हुए लोकसभा चुनाव की बात करें कांग्रेस पार्टी को दौसा और बीकानेर से खासी उम्मीदें हैं। पार्टी नेता इन दोनों सीटे के परिणाम इस बार अपने पक्ष में आने के मानकर चल रहे हैं। शीर्ष नेताओं को जो फीडबैक मिला है उसमें भी इन दोनों सीटों पर जीत की संभावना जताई गई है।