scriptतीन साल में पहली बार अध्यक्ष पद पर एबीवीपी का एक भी प्रत्याशी बागी नहीं,एनएसयूआई के दो बागी मैदान में | For the first time in three years, no rebel candidate of ABVP has been | Patrika News
जयपुर

तीन साल में पहली बार अध्यक्ष पद पर एबीवीपी का एक भी प्रत्याशी बागी नहीं,एनएसयूआई के दो बागी मैदान में

तो महासचिव पद पर एबीवीपी के दो तो एनएसयूआई का एक बागी मैदान में

जयपुरAug 24, 2019 / 12:48 pm

HIMANSHU SHARMA

 Rajasthan University

Rajasthan University



जयपुर
नाम वापसी के बाद राजस्थान विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों की तस्वीर साफ हो गई है। गत तीन सालों में पहली बार ऐसा हुआ है कि अध्यक्ष पद पर अब एबीवीपी का एक भी बागी प्रत्याशी मैदान में नहीं बचा है। लेकिन एनएसूयआई के दो बागी प्रत्याशियों ने मैदान में ताल ठोक दी है। एबीवीपी की ओर से अध्यक्ष पर पर अमित कुमार बड़बड़वाल मैदान में है। वहीं अध्यक्ष पद के लिए एबीवीपी का कोई भी बागी प्रत्याशी मैदान में नहीं है। लेकिन एनएसयूआई के सामने बागियों ने मुश्किलें पैदा कर दी हैं। एनएसयूआई के लिए अध्यक्ष पद पर उत्तम ने पर्चा भरा है। लेकिन बागी हुए मुकेश चौधरी और पूजा वर्मा ने अध्यक्ष पद से पर्चा वापस नहीं लेने से संगठन को मुसीबत में ड़ाल दिया है। वहीं एबीवीपी के लिए महासचिव पद पर अरूण शर्मा ने पर्चा भरा है तो एनएसयूआई के लिए महासचिव पद पर महावीर प्रसाद मैदान में है। लेकिन महासचिव पर एबीवीपी के दो बागी जितेन्द्र कुमार जीत और नितिन कुमार शर्मा ने पर्चा वापस नहीं लेकर संगठन की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। वहीं एनएसयूआई से बागी हुए राजेश चौधरी मैदान में हैं तो अभिषेक मीणा, भूपसिंह गुर्जर ने भी पर्चा वापस नहीं लिया हैं।
वाहनों के प्रवेश पर प्रोक्टर बोर्ड पैदा कर रहा गफलत
राजस्थान विश्वविद्यालय में छात्र संगठन के पदाधिकारियों के चारपहियां वाहनों के प्रवेश को लेकर प्रोक्टर बोर्ड गफलत पैदा कर रहा है। मुख्य द्वार पर संगठन के पदाधिकारियों की गाड़ी रोकना पुलिस पर भारी पड़ रहा है। एक तरफ जहां पुलिस सख्ती दिखाते हुए गाड़ियों को रोक रही है वहीं विश्वविद्यालय का प्रोक्टर बोर्ड संगठन के पदाधिकारियों की गाड़ियों को कैंपस में प्रवेश की सिफारिश कर रहा हैं। बुधवार की शाम को एनएसयूआई के पदाधिकारियों की गाड़ी रोकने के बाद हुए विवाद से चीफ प्रोक्टर प्रो.एचएस पलसानियां ने कहा था कि जो भी संगठन के पदाधिकारी आए उन्हें प्रवेश दिया जाए। लेकिन पुलिस की सख्ती के बावजूद प्रोक्टर बोर्ड संगठन के पदाधिकारियों की गाड़ियों को कैंपस में प्रवेश के लिए सिफारिश करता रहा। लेकिन विश्वविद्यालय के प्रोक्टर बोर्ड की सिफारिश पुलिस के लिए मुसीबत पैदा कर रही हैं। पुलिस और विश्वविद्यालय के सुरक्षाकर्मी संगठन के पदाधिकारियों को बगैर आईकार्ड प्रवेश करने से रोकती है तो प्रोक्टर बोर्ड उन्हें प्रवेश की अनुमति देता हैं। ऐसे में पुलिस और विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच भी सामजंस्य नहीं बैठ रहा हैं।

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