संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन चंद्र दर्शन व पूजा का महत्व है। नए साल की पहली संकष्टी चतुर्थी 2 जनवरी को है। इस दिन उदया तिथि तृतीया है, बाद में चतुर्थी तिथि लग जाएगी। ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर बताते हैं कि चूंकि रात को चतुर्थी तिथि 2 जनवरी को ही रहेगी इसलिए संकष्टी चतुर्थी आज ही मनाई जाना चाहिए।
सुबह स्नानादि से निवृत्त होने के बाद भगवान गणेश का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। इसके बाद गणेशजी की विधिवत पूजा करें। अक्षत, धूप आदि के साथ गणेशजी को दूर्वा जरूर अर्पित करें। गणेशजी के सरल मंत्र ओम गं ओम का कम से कम 108 बार जाप करें। इसके बाद व्रत कथा पढ़ें और भगवान गणेश की आरती करें।
रात में चंद्रमा के दर्शन के बाद व्रत पारण करें। व्रत में दिन में फलाहार वगैरह ले सकते हैं। संभव हो तो गणेश चतुर्थी का व्रत निर्जल रहें। आसन्न संकट से मुक्ति पाने के लिए इस दिन संकट नाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करें, इससे जरूर राहत मिलेगी। गणेश चतुर्थी व्रत के दिन गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ भी बहुत फलदायी होता है।