गायों की स्थिति
वर्ष-2012 की पशुगणना के अनुसार प्रदेश में 1.33 करोड़ गोवंश है, लेकिन उनकी स्थिति अच्छी नहीं है। वर्ष-2007 की पशुगणना में 1.21 करोड़ गोवंश था। वर्तमान में प्रदेश में 2673 गोशाला हैं, जिसमें 9 लाख गोवंश है। गोशालाओं को सालाना 450 से 500 करोड़ रुपए बजट आता है। यह बजट स्टाम्प ड्यूटी और शराब बिक्री के वेट पर लगे सेस की राशि से जमा किया जाता है।
वर्ष-2012 की पशुगणना के अनुसार प्रदेश में 1.33 करोड़ गोवंश है, लेकिन उनकी स्थिति अच्छी नहीं है। वर्ष-2007 की पशुगणना में 1.21 करोड़ गोवंश था। वर्तमान में प्रदेश में 2673 गोशाला हैं, जिसमें 9 लाख गोवंश है। गोशालाओं को सालाना 450 से 500 करोड़ रुपए बजट आता है। यह बजट स्टाम्प ड्यूटी और शराब बिक्री के वेट पर लगे सेस की राशि से जमा किया जाता है।
अलवर बना सेफ जोन
गोतस्करों के लिए अलवर सेफ जोन है। इसके पीछे वजह यह है कि अलवर जिले के किशनगढ़बास, तिजारा, टपूकड़ा, भिवाड़ी, बहरोड़, नीमराणा, रामगढ़ व नौगांवा कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां से सैकड़ों रास्ते हरियाणा के लिए जाते हैं। इनमें से कई ऐसे चोर रास्ते हैं। जिनसे होकर गोतस्कर पुलिस को गच्चा देकर आसानी से निकल जाते हैं। तस्कर बीमार व कमजोर गायों को 1500 से 2000 रुपए में खरीदते भी हैं। आगे ले जाकर बूचडख़ानों में 15 से 20 हजारतक बेच देते हैं। वहां से गोमांस, खाल और हड्डियों को और भी महंगे दामों में आगे बेच दिया जाता है। मेवात क्षेत्र में खुलेआम सडक़ों पर गोमांस बेचा जाता है।
गोतस्करों के लिए अलवर सेफ जोन है। इसके पीछे वजह यह है कि अलवर जिले के किशनगढ़बास, तिजारा, टपूकड़ा, भिवाड़ी, बहरोड़, नीमराणा, रामगढ़ व नौगांवा कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां से सैकड़ों रास्ते हरियाणा के लिए जाते हैं। इनमें से कई ऐसे चोर रास्ते हैं। जिनसे होकर गोतस्कर पुलिस को गच्चा देकर आसानी से निकल जाते हैं। तस्कर बीमार व कमजोर गायों को 1500 से 2000 रुपए में खरीदते भी हैं। आगे ले जाकर बूचडख़ानों में 15 से 20 हजारतक बेच देते हैं। वहां से गोमांस, खाल और हड्डियों को और भी महंगे दामों में आगे बेच दिया जाता है। मेवात क्षेत्र में खुलेआम सडक़ों पर गोमांस बेचा जाता है।
आयोग से उम्मीद
गोतस्करों के लिए अलवर सेफ जोन है। इसके पीछे वजह यह है कि अलवर जिले के किशनगढ़बास, तिजारा, टपूकड़ा, भिवाड़ी, बहरोड़, नीमराणा, रामगढ़ व नौगांवा कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां से सैकड़ों रास्ते हरियाणा के लिए जाते हैं। इनमें से कई ऐसे चोर रास्ते हैं। जिनसे होकर गोतस्कर पुलिस को गच्चा देकर आसानी से निकल जाते हैं। तस्कर बीमार व कमजोर गायों को 1500 से 2000 रुपए में खरीदते भी हैं। आगे ले जाकर बूचडख़ानों में 15 से 20 हजारतक बेच देते हैं। वहां से गोमांस, खाल और हड्डियों को और भी महंगे दामों में आगे बेच दिया जाता है। मेवात क्षेत्र में खुलेआम सडक़ों पर गोमांस बेचा जाता है।
गोतस्करों के लिए अलवर सेफ जोन है। इसके पीछे वजह यह है कि अलवर जिले के किशनगढ़बास, तिजारा, टपूकड़ा, भिवाड़ी, बहरोड़, नीमराणा, रामगढ़ व नौगांवा कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां से सैकड़ों रास्ते हरियाणा के लिए जाते हैं। इनमें से कई ऐसे चोर रास्ते हैं। जिनसे होकर गोतस्कर पुलिस को गच्चा देकर आसानी से निकल जाते हैं। तस्कर बीमार व कमजोर गायों को 1500 से 2000 रुपए में खरीदते भी हैं। आगे ले जाकर बूचडख़ानों में 15 से 20 हजारतक बेच देते हैं। वहां से गोमांस, खाल और हड्डियों को और भी महंगे दामों में आगे बेच दिया जाता है। मेवात क्षेत्र में खुलेआम सडक़ों पर गोमांस बेचा जाता है।
अलवर में गोतस्करी-
वर्ष दर्ज प्रकरण
2014 181
2015 160
2016 117
2017 94
2018 98 पुलिस अलर्ट
गोतस्करी को रोकने के लिए पुलिस पूरी तरह से अलर्ट है। सभी पुलिस थानों को गोतस्करों की धरपकड़ और गोतस्करी रोकने के लिए विशेष निर्देश दिए हुए हैं।
राजीव पचार, जिला पुलिस अधीक्षक, अलवर।
वर्ष दर्ज प्रकरण
2014 181
2015 160
2016 117
2017 94
2018 98 पुलिस अलर्ट
गोतस्करी को रोकने के लिए पुलिस पूरी तरह से अलर्ट है। सभी पुलिस थानों को गोतस्करों की धरपकड़ और गोतस्करी रोकने के लिए विशेष निर्देश दिए हुए हैं।
राजीव पचार, जिला पुलिस अधीक्षक, अलवर।