गहलोत ने कहा कि भाजपा सरकार ने चार सालों के दौरान पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय दिए जा रहे गेहूं खरीद पर अतिरिक्त बोनस को बंद कर दिया है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने गेहूं के समर्थन मूल्य पर वर्ष 2012-13 में पहली बार राज्य के किसानों को 100 रूपये प्रति क्विंटल बोनस दिया था, जिस पर राजकोष से 200 करोड रूपए का अनुदान दिया था। इसी प्रकार वर्ष 2013-14 में 150 रूपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं खरीद में अतिरिक्त बोनस दिया था।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि कोटा सम्भाग में चने का बम्पर उत्पादन हुआ है, जिसे समर्थन मूल्य पर बिक्री करने के लिए किसान बड़ी बैचेनी महसूस कर रहा है। प्रदेश में किसानों से चना समर्थन मूल्य खरीद की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने से चना उत्पादक किसानों को 3500 रूपए क्विंटल तथा सरसों उत्पादक किसानों को 3600 रूपये प्रति क्विंटल के मूल्य पर बेचने पर मजबूर होना पड़ रहा है। जबकि चने का समर्थन मूल्य 4400 रूपए तथा सरसों का समर्थन मूल्य 4000 रूपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है।
गहलोत ने कहा कि किसान एक तरफ भाजपा सरकार द्वारा की गयी कर्ज माफी की ओर टकटकी लगाए हुए है वहीं दूसरी ओर कड़ी मेहनत से हुए उत्पादन का उचित मूल्य नहीं मिलने से आर्थिक संकट से गुजर रहा है। उन्होंने कहा कि समर्थन मूल्य पर मूंग खरीद का किसानों को अब तक भुगतान भी नहीं मिल पाया है और हजारों किसान अपने पैसे के लिए राजफैड और बैंकों के चक्कर काटने पर विवश हो रहे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में महाराष्ट्र के बाद राजस्थान सर्वाधिक प्याज उत्पादित करने वाला दूसरा प्रदेश है। प्याज उत्पादकों को इस बार प्याज का वाजिब मूल्य नहीं मिलने के कारण परेशानी महसूस कर रहा है। किसान वैसे ही कर्ज के बोझ से दबा हुआ है, उस पर प्याज एवं लहसुन के मूल्यों में हुई गिरावट से और टूट गया है। राज्य सरकार को किसानों को हितों को ध्यान में रखते हुए प्याज खरीद के वाजिब मूल्य निर्धारित कर खरीद प्रक्रिया प्रारम्भ करनी चाहिए।