कृषि कानूनों के पुरजोर विरोध और किसान आंदोलन के गरमाए माहौल के बीच गहलोत सरकार का समर्थन मूल्य में उपज की खरीद का सिलसिला जारी है। वहीं इस खरीद के बदले किसानों को सरकारी पेटे से भुगतान भी किया जा रहा है। इसी क्रम में सरकार ने किसानों से मूंग और मूंगफली की खरीद समर्थन मूल्य पर करते हुए हज़ारों किसानों को करोड़ों रुपए का भुगतान किये जाने की जानकारी दी है।
सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने बताया है कि प्रदेश में समर्थन मूल्य पर मूंग एवं मूंगफली की खरीद के पेटे 34 हजार 64 किसानों को 425.45 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है। अब तक किसानों से 86 हजार 34 मीट्रिक टन मूंग एवं मूंगफली की खरीद की जा चुकी है।
आंजना ने बताया कि अब तक 12 हजार 24 मीट्रिक टन मूंग एवं 74 हजार 9 मीट्रिक टन मूंगफली की खरीद किसानों से की जा चुकी है। 5 हजार 463 किसानों को मूंग बेचान के पेटे 74.45 करोड़ रूपए का भुगतान किया जा चुका है। जबकि मूंगफली के लिए 28 हजार 601 किसानों को 351 करोड़ रुपए का भुगतान ऑनलाइन किया गया है।
सहकारिता मंत्री ने बताया कि मूंग की खरीद एक नवंबर से तथा मूंगफली की खरीद 18 नवंबर से प्रारंभ की गई थी। भारत सरकार द्वारा दलहन-तिलहन की खरीद अवधि 90 दिन निर्धारित है। अतः मूंग की 29 जनवरी तक खरीद पूरी हो चुकी है। मूंगफली की खरीद 16 फरवरी तक होगी। मूंगफली के लिए पंजीकृत सभी 80 हजार 346 किसानों को दिनांक आवंटित कर दी गई है। ऎसी स्थिति में मूंगफली बेचान के लिए 11 फरवरी को पंजीयन बंद किए जाएंगे।
आंजना ने बताया कि इस सीजन में उड़द एवं सोयाबीन के भाव इनके समर्थन मूल्य क्रमशः 6 हजार एवं 3880 रुपए प्रति क्विंटल से अधिक होने के कारण किसानों द्वारा समर्थन मूल्य योजना में पंजीयन कराने के उपरान्त ही उड़द एवं सोयाबीन का विक्रय नही किया गया है।
उन्होंने बताया कि अच्छी गुणवत्ता वाले मूंग के बाजार भाव मूंग के समर्थन मूल्य 7196 रुपए प्रति क्विंटल से अधिक होने के कारण किसानों द्वारा अपना मूंग समर्थन मूल्य दर से ऊंची दरों पर बाजार में विक्रय किया गया है।