मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि महिला एवं बच्चों के स्वास्थ्य व पोषण को प्राथमिकता देते हुए इस योजना की घोषणा इस वर्ष के राज्य बजट में 13 मार्च को की गई थी। फिलहाल यह योजना मातृ एवं शिशु पोषण संकेतकों पर बनी रैंकिंग के आधार पर प्रदेश के चार अत्यधिक पिछड़े टीएसपी जिलों उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर एवं प्रतापगढ़ में शुरू की गई है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इसे चरणबद्ध रूप से पूरे प्रदेश में लागू करेगी।
योजना में महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य तथा खान एवं भूविज्ञान विभाग मिलकर कार्य करेंगे। प्रतिवर्ष करीब 77 हजार से अधिक महिलाएं लाभान्वित होंगी। इसके तहत पर 43 करोड़ रूपए वार्षिक खर्च होंगे, इसमें वित्त पोषण खान एवं भूविज्ञान विभाग के अधीन स्टेट मिनरल फाउण्डेशन ट्रस्ट की ओर से किया जाएगा। गहलोत ने योजना के लोगो, पोस्टर एवं ब्रोशर का भी विमोचन किया। योजना के शुभारम्भ के अवसर पर चारों जिलों की दो-दो लाभार्थियों को प्रथम किश्त के रूप में एक-एक हजार रूपए के चेक दिए गए।
महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री ममता भूपेश ने कहा कि इंदिरा गांधी मातृत्व पोषण योजना का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं एवं स्तनपान कराने वाली माताओं तथा तीन वर्ष तक के बच्चों के स्वास्थ एवं पोषण की स्थिति में सुधार लाना है। इस योजना में दूसरी संतान के जन्म पर लाभार्थी महिलाओं को पांच चरणों में 6 हजार रूपए की राशि सीधे लाभार्थी के खाते में भेजी जाएगी। पहली किश्त 1000 रूपए गर्भावस्था जांच व पंजीकरण होने पर, दूसरी किश्त 1000 रूपए कम से कम दो प्रसव पूर्व जांचें पूरी होने पर, तीसरी किश्त 1000 रूपए संस्थागत प्रसव होने पर, चौथी किश्त 2000 रूपए बच्चे के जन्म के 105 दिन तक सभी नियमित टीके लगने तथा बच्चे का जन्म पंजीकरण होने पर तथा पांचवी एवं आखिरी किश्त 1000 रूपए दंपती की दूसरी संतान पैदा होने के तीन माह के भीतर परिवार नियोजन के साधन अपनाने पर दी जाएगी। इससे परिवार नियोजन को भी बढावा मिलेगा।