दुल्हन के वेश में जंच रही थी करीमा… दरअसल जैसलमेर आकर हिंदू रीति से विवाह बंधन में बंधने वाले शाशा जर्मनी के रहने वाले हैं जबकि उनकी दोस्त करीमा के माता-पिता मोरक्को में रहते हैं और वह खुद जर्मनी में रहती है। करीमा जब राजस्थानी घाघरा-ओढ़नी और स्वर्णाभूषणों से सज-धज कर विवाह मंडप में पहुंची तो बेहद खुश थी। राजस्थानी परिधान में दुल्हन बनी करीमा खूबसूत नजर आई। वहां मौजूद उनके दोस्तों ने उस पर चादर तानकर मंडप तक पहुंचाया। साथ ही दूल्हा बने शाशा ने जरीदार शेरवानी पहन रखी थी। दोनों भारतीय परिधान में काफी जंच रहे थे।
दूसरी बार पहुंचे भारत भ्रमण पर… बता दें कि शाशा गोट्सचाक और करीमा दूसरी बार भारत भ्रमण पर आए हुए हैं। साल 2011 में वे पहली जैसलमेर घूमने आए थे। दोनों यहां की खूबसूरती देख दंग रह गए। यहां के लोगों की मेहमानवाजी, रहन-सहन संस्कृति देखकर ही उन्होंने भारतीय रीति-रिवाज से शादी के बंधन में बंधने का निर्णय लिया। इसके लिए 13 नवम्बर की गोधुली बेला का समय तय किया। जिसके बाद जेएस 151121 व जेएस 151130 जैसलमेर के एक होटल में हिन्दू रीति-रिवाज से विवाह की रस्म को दोनों ने पूरा किया।
मंत्रों के अर्थ भी बताए… मंडप में पहुंचने पर दोनों ने एक दूसरे को अंगूठी पहनाई, गले में जयमाला डाली और फिर शुरू हुआ वकैदि मंत्रोच्चारों का दौर। हिंदू वैवाहिक परंपरा के सात वचन भी अनुवाद करके अंग्रेजी में सुनाए गए। कुछ स्थानीय लोग भी इस लम्हे के साक्षी बने। उन्होंने वर-वधु के रिश्तेदारों की भूमिका निभाई।