-शक्तिशाली प्रयोग… बांटी मच्छरदानी उन्होंने कहा कि हेल्थकेयर अफ्र ीका में हमने एक प्रयोग किया, हमने देखा कि मलेरिया से काफी बच्चे मर रहे थे। हमने देखा कि मुफ्त में बेडनेट (मच्छरदानी) देने से लोग इसे मछली पकडऩे के लिए इस्तेमाल करने लगे, जबकि इस पर सब्सिडी देने से इसे खरीदने वालों की संख्या बढ़ गई। इसका असर यह हुआ कि अब हर साल पांच मिलियन लोग मलेरिया से नहीं मर रहे। यह हमारा शक्तिशाली प्रयोग था।
-शुरुआत कुछ इस अंदाज में नोबेल मिलने के बाद क्या बदलाव आया? अभिजीत ने कहा, सेल्फी लेने वालों की संख्या बढ़ गई है…दर्शकों से खचाखच भरे इस सत्र की शुरुआत कुछ इस अंदाज में हुई। नोबेल प्राइज विजेता अभिजीत ने इस मौके पर इकोनॉमिक्स, एजुकेशन, हेल्थकेयर और अपने रिसर्च वर्क पर चर्चा की।
-शिक्षा : जो सीखना चाहें वही सिखाएं भारत में राइट टु एजुकेशन (आरटीई) में बच्चे को पढ़ाया जाता है, लेकिन चौथी क्लास में बच्चा सामाजिक विज्ञान नहीं पढ़ पाता। उन्हें सिलेबस के बजाय वो सिखाएं जो वे सीखना चाहते हैं। ऐसा नहीं है कि वे कमतर होंगे, बल्कि ऐसा है कि वे सिलेबस से बाहर दूसरी तरह से सीखना चाहते हैं।
-वित्त : पहले कर्ज…फिर चुकाने को बिजनेस 95 प्रतिशत लोग बच्चों की शादी के लिए कर्ज लेते हैं। फिर कोई छोटा-मोटा बिजनेस इस लोन को भरने के लिए करने लग जाते हैं। इसलिए उनकी आय में कोई बदलाव नहीं आता। पांच प्रतिशत से भी कम लोग इसके लिए मोटिवेट होते हैं।
-अनुसंधान : इकोनॉमिस्ट फेल, चीन पास राजस्थान पुलिस के साथ हमने काम किया। काफी अच्छा काम हुआ। आईपीएस नीना सिंह के साथ हमने राजस्थान पुलिस की सॉफ्ट स्किल ट्रेनिंग के लिए काम किया। प्रिडक्शन1989 में वॉलस्ट्रीट जर्नल ने अपनी 100वीं एनिवर्सरी पर एक रिपोर्ट पब्लिश की, जिसमें उन्होंने अंदाजा लगाया कि किस देश का सफल भविष्य होगा। अंदाजा लगाया गया कि जिम्बाबवे का भविष्य बेहतर होगा और चीन फेल हो जाएगा, लेकिन चीन ने अपने बैंकिंग सिस्टम को मजबूत कर लिया। बड़े-बड़े इकोनॉमिस्ट इसमें फेल हो गए। चीन इसमें पास हो गया।
-विकेंद्रीकरण : भारत के लिए जरूरी भारत जैसे देशों को विकेंद्रीकरण की जरूरत है। एक अच्छा प्रतियोगी माहौल इसे बढ़ावा देगा। सिंगापुर में एक सशक्त सरकार इसका काम कर रही है। चीन में भारत से ज्यादा विकेंद्रीकरण है।
-सवाल-जवाब… -इतने सारे प्रयोग कैसे किए…पर बोले कि हमने इन प्रयोगों से काफी सीखा। राजस्थान में मेरे दोस्तों ने काफी मदद की।
-इंडियन इकॉनमी के लिए टिप्स फॉर्मूला और आरबीआई का गवर्नर बनने का प्रस्ताव मिलने के सवाल पर कहा, बिलकुल भी नहीं। माइक्रो इकोनॉमिक्स इससे कहीं ज्यादा बेहतर है। इकोनॉमी के लिए कोई क्विक फॉर्मूला नहीं है।
-कांग्रेस के साथ काम का क्या अनुभव पर कहा, भारत को एक बेहतर विपक्ष की जरूरत है? एक बेहतर विपक्ष लोकतंत्र की मजबूती के लिए बहुत जरूरी है। कांग्रेस बेहतर विपक्ष के रूप में काम करे।
-इकोनॉमिक्स क्या है…के सवाल पर बोले, ये कोई मुश्किल विषय नहीं, बल्कि दुनिया को जानने का बेहतरीन विषय है।
-इंडिया में होते तो क्या नोबेल जीत पाते…पर कहा कि एमआईटी में मेरे पास दुनिया के बेस्ट पीएचडी छात्र हैं। मेरा ज्यादातर काम उनका ही किया हुआ है, जिसका मुझे क्रेडिट मिला है। भारत में भी टेलेंट की कोई कमी नहीं है, लेकिन शायद यहां अकेले ही सब कुछ कर पाना संभव नहीं है। इसलिए मैं कहता हूं कि अच्छे टेलेंट के लिए अच्छे संस्थान भी होने चाहिए।