-सिर्फ तीन दिन का समय इस संशोधित कानून के तहत 15 दिन के नोटिस की औपचारिकता पूरी करने की जरूरत नहीं होगी। अब कब्जाधारक को बंगला खाली नहीं करने का कारण बताने के लिए सिर्फ तीन दिन का समय देते हुये एक नोटिस जारी किया जा रहा है। संतोषजनक कारण नहीं बता पाने पर संपदा निरीक्षक संपत्ति को खाली करा सकेंगे।
-कड़ी चेतावनी का भी नहीं असर गत जून में हुए लोकसभा चुनाव में हारने वाले सांसदों में से 81 सांसदों ने अब तक दिल्ली स्थित सरकारी बंगला खाली नहीं किया है। मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि इन सांसदों को संसद सदस्यता खत्म होने की तारीख से 30 दिन के भीतर बंगला खाली करना था, लेकिन ऐसा नहीं कर पाने वाले सांसदों को संपदा निदेशालय की ओर से 15 दिन का नोटिस भी भेजा जा चुका है।
-यों चली प्रक्रिया… 17वीं लोकसभा के हाल ही में संपन्न हुए पहले संसद सत्र में मंत्रालय की ओर से पेश सरकारी स्थान (अप्राधिकृत अधिभोगियों की बेदखली) संशोधन विधेयक 2019 को दोनों सदनों से पारित किया गया था। इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद विधि एवं न्याय मंत्रालय ने नौ अगस्त को अधिसूचित कर दिया था। इसके बाद संपदा निदेशालय ने भी इसे बतौर कानून लागू करने की अधिसूचना 12 सितंबर को जारी कर दी। अधिसूचना के मुताबिक इस कानून को 15 सितंबर से प्रभावी घोषित किया गया है।
-दायित्व संपदा निदेशालय का केंद्रीय कर्मचारियों, संसद सदस्यों और अन्य प्रमुख व्यक्तियों को सरकारी आवास के आवंटन, रखरखाव और खाली कराने का दायित्व मंत्रालय के अंतर्गत संपदा निदेशालय का है। सरकारी आवास के अनधिकृत उपयोग की समस्या से सख्ती से निपटने के लिए इस कानून में प्रभावी प्रावधान किए गए हैं।