सरकार आंदोलनकारियों की मांगों पर सहमति दे सकती है। सरकार ने बातचीत के लिए मुख्य सचेतक महेश जोशी को अधिकृत किया गया है। बैठक में मुख्य सचेतक डॉ जोशी, मुख्य सचिव निरंजन आर्य, डीजीपी एम.एल लाठर, पुलिस कमिश्नर आनंद श्रीवास्तव, जयपुर कलेक्टर सहित अन्य अधिकारी मौजूद हैं, जबकि आंदोलनकारियों के प्रतिनिधिमंडल में भाजपा के राज्यसभा सांसद किरोड़ी मीणा, सांसद रामचरण बोहरा, विधायक अशोक लाहोटी, पूर्व मंत्री अरुण चतुर्वेदी, सुमन शर्मा और विप्र फाउंडेशन अध्यक्ष राजेश कर्नल हैं सरकार से वार्ता कर रहे हैं।
मामले को शांत करना चाहती है सरकार
सूत्रों की माने तो पुजारी शंभू के मौत के बाद शुरू हुए आंदोलन से कहीं न कहीं सरकार को उपचुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसके लिए सरकार किसी भी तरह इस मामले को शांत करना चाहती है। यही वजह है कि सरकार ने दूसरी बार पहल कर आंदोलनकारियों को बातचीत के लिए बुलाया है। इससे पहले राजस्व मंत्री हरीश चौधरी के साथ हुई बैठक बेनतीजा रही है।
पॉलिटिकल माइलेज चाहती है भाजपा
राजनीतिक प्रेक्षकों की माने तो भाजपा पुजारी शंभू के मौत के मामले को उपचुनाव में भुनाने की तैयारी में है, साथ ही इस आंदोलन के जरिए सरकार को घेरने की रणनीति तैयार की जा रही है।
शव पर जारी सियासत, अंत्येष्ठी का इंतज़ार
दौसा के पुजारी की मौत के बाद शव के साथ जारी आंदोलन को सप्ताह भर से भी ऊपर हो गया है। पुजारी की अंत्येष्ठी अब तक नहीं होने और शव पर सियासत की खबर देश भर की खबरों में सुर्खियां बनी हुई हैं। सभी इस बात के इंतज़ार में हैं कि कब गतिरोध टूटे और पुजारी के शव का विधि-विधान के साथ अंतिम संस्कार हो।
पुलिस-प्रशासन बैकफुट पर
सांसद किरोड़ी मीणा, भाजपा नेता-कार्यकर्ताओं और ब्राह्मण संगठनों के लोगों की मौजूदगी में हो रहे धरने को लेकर पुलिस-प्रशासन के हाथ-पांव फूले हुए हैं। स्थिति ना बिगड़े और गतिरोध का शांतिपूर्ण हल निकले इसका धरनास्थल पर मौजूद पुलिस अधिकारी भी इंतज़ार कर रहे हैं। शनिवार को भी पुलिस ने पुजारी के शव को कब्ज़े में लेने की कोशिश की थी। लेकिन प्रदर्शनकारियों के उग्र तेवर देखते हुए पुलिस को उलटे पांव लौटने पर मजबूर होना पड़ गया।
ये है मामला
गत दिनों दौसा के महवा के टीकरी जाफरान गांव में के 75 वर्षीय बुजुर्ग व मूक-बधिर पुजारी शंभू शर्मा की मौत हो गई थी। परिजनों का आरोप है कि गांव के कुछ भूमाफियाओं और दबंगों ने अफसरों से गठजोड़ करके उसकी बेशकीमती जमीन को हथिया लिया। इस सदमे में बुजुर्ग पुजारी की मौत हो गई। अब मृतक पुजारी को न्याय दिलाने के लिए परिजनों और ग्रामीणों के साथ सांसद डॉ किरोड़ी लाल मीणा भी धरने पर बैठे हुए हैं।
इन प्रमुख मांगों पर गतिरोध बरकरार
– पुजारी की भूमि पर हुई रजिस्ट्री को रद्द किया जाए
– भूमाफियाओं को गिरफ्तार कर भूमि पर बने निर्माण को हटाया जाए
– प्रदेश भर की मंदिर माफ़ी की ज़मीन पर भूमाफियाओं के कब्ज़े ना हों इसके लिए सशक्त कानून बनाया जाए