पूर्व शिक्षामंत्री और विधायक वासुदेव देवनानी ने कहा कि गहलोत सरकार के इस निर्णय से अभिभावकों को अतिरिक्त भार पड़ेगा। इस आदेश का सीधा असर 98 लाख अभिभावकों पर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने 20 साल बाद विद्यार्थियों की यूर्निफॉर्म बदली थी। यह बदलाव परिजनों और विद्यार्थियों के आग्रह पर ही किया गया था। मगर पूर्ववर्ती सरकार के आदेश को अभी चार साल ही हुए हैं और कांग्रेस सरकार ने दोबारा स्कूल यूर्निफॉर्म का रंग बदल दिया है।
आपको बता दें कि राजस्थान सरकार ने यूनिफॉर्म का रंग बदल दिया है। छात्रों को हल्की नीति शर्ट और गहरे भूरे रंग की पेंट पहनकर आना होगा, वहीं छात्राओं को हल्के नीले रंग की शर्ट या कुर्ता और गहरे भूरे रंग की स्कर्ट या सलावार पहननी होगी। इससे पहले भाजपा सरकार ने 1997 के बाद पहली बार 2017 में यूनिफॉर्म का रंग बदला था।
मानसिक दिवालियापन का संकेत उन्होंने कहा कि यह आदेश गहलोत सरकार के मानसिक दिवालियापन का संकेत है। कोरोना कालखंड में पहले से ही आमजन आर्थिक रूप से परेशान है, ऐसे में सरकार के इस अविवेकपूर्ण निर्णय से 98 लाख अभिभावकों पर नई यूनिफॉर्म का अतिरिक्त आर्थिक भार पड़ेगा जो किसी भी दृष्टि से सही नहीं माना जा सकता। ऐसे में सरकार को इस मामले में पुनर्विचार करना चाहिए और कारोना की परिस्थितियों को देखते हुए इस आदेश को वापस लेना चाहिए।