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जयपुर

Human-Elephant Conflict: गजराज को सुरक्षित रास्ता देने में ही सबका भला, देशभर के एलिफेंट कॉरिडोर की हो रही समीक्षा

Human-elephant conflict: 2017 में हुई पिछली जनगणना के अनुसार भारत में 29,964 हाथी थे। संसद में पेश किए गए पर्यावरण मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि 2021-22 में हाथियों की वजह से होने वाली मौतों की संख्या 535 थी। एलिफेंट कॉरिडोर (elephant corridor) दो वन्यक्षेत्रों को जोड़ने वाली पट्टी होती है। यह मानव-हाथी संघर्ष को कुछ हद तक कम करने में भी मदद करता है क्योंकि हाथियों को आने—जाने का सुरक्षित रास्ता मिल जाता है।

जयपुरJan 28, 2023 / 02:35 pm

Amit Purohit

elephant

गजराज को सुरक्षित रास्ता देने में ही सबका भला, देशभर के एलिफेंट कॉरिडोर की हो रही समीक्षा

Human-elephant conflict: केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय भारत भर में हाथी गलियारों की समीक्षा करने की तैयारी में है, ताकि मानव—हाथी संघर्ष को बेहतर तरीके से प्रबंधित किया जाए। हाथी संरक्षण के लिए एक केंद्र प्रायोजित योजना प्रोजेक्ट एलिफेंट के निदेशक रमेश कुमार पांडे ने कहा कि सरकार ने एलिफेंट कॉरिडोर पर नए सिरे से काम करना तय किया है। यह देखा जाएगा कि पुराने गलियारे अभी काम कर रहे हैं या नहीं। एलिफेंट कॉरिडोर दो वन्यक्षेत्रों को जोड़ने वाली पट्टी होती है। यह मानव-हाथी संघर्ष को कुछ हद तक कम करने में भी मदद करता है क्योंकि हाथियों को आने—जाने का सुरक्षित रास्ता मिल जाता है।
पांडे ने कहा कि हम यह जानने के लिए राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं कि क्या पुराने गलियारे अभी भी काम कर रहे हैं और क्या नए आ गए हैं। हम हाथियों की खोजपूर्ण गतिविधियों पर भी विचार कर रहे हैं और इससे निपटने के लिए रणनीति तैयार कर रहे हैं। पांडे ने कहा कि 50% पुराने कॉरिडोर का सत्यापन पूरा कर लिया है और बाकी का सत्यापन अगले कुछ महीनों में कर दिया जाएगा।
2005 में, भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट और एशियाई प्रकृति संरक्षण फाउंडेशन ने 88 हाथी गलियारों की पहचान की थी। भारत में हाथी संरक्षण की मौजूदा नीति की समीक्षा करने और भविष्य के हस्तक्षेपों को तैयार करने के लिए 2010 में गठित गज (हाथी) टास्क फोर्स ने इन गलियारों में से 26 को सुरक्षित और संरक्षित करने के लिए तत्काल कार्रवाई करने का सुझाव दिया था। शेष 62 को मध्यम से निम्न पारिस्थितिक और संरक्षण मूल्य वाले के रूप में सूचीबद्ध किया गया था। 2017 में, डब्ल्यूटीआई ने 101 हाथी गलियारों की पहचान की। 2010 की गज रिपोर्ट के अनुसार, हाथियों का भविष्य तभी सुरक्षित हो सकता है, जब व्यवहार्य आबादी वाले परिदृश्यों को समग्र और पारिस्थितिक रूप से सही तरीके से प्रबंधित किया जाए। इन आबादी का दीर्घकालिक अस्तित्व आवासों को समेकित करने और गलियारों की अखंडता को बनाए रखने पर निर्भर करता है। अनुवांशिक विविधता के रखरखाव को सक्षम करने के लिए गलियारे महत्वपूर्ण हैं। गलियारों से रहित और सख्त संरक्षित आवासों में हाथियों की आबादी अलग-थलग हो जाएगी और बहुत अधिक असुरक्षित होगी।
ओडिशा ने सिमिलिपाल-हदगढ़-कुलडीहा कॉरिडोर में 7,263 एकड़ क्षेत्र को संरक्षण रिजर्व के रूप में अधिसूचित किया है, जो वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत एक संरक्षित क्षेत्र है। 2010 में, तमिलनाडु सरकार ने मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश पर नीलगिरि जिले में सिगुर पठार को एक हाथी गलियारे के रूप में अधिसूचित किया। केंद्रीय वन मंत्रालय के एक अधिकारी, उत्तराखंड सरकार पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत हाथी गलियारों को पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्रों के रूप में अधिसूचित करने की योजना बना रही है। पश्चिम बंगाल सरकार भी उत्तर बंगाल में टिटी-बक्सा कॉरिडोर को हाथी संरक्षण क्षेत्र के रूप में सुरक्षित करने की कोशिश कर रही है।

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