scriptपढ़िए…कैसे गुजरातियों को घास बना रहा रही है करोड़पति | Grass making Crorepati in Gujarat | Patrika News
जयपुर

पढ़िए…कैसे गुजरातियों को घास बना रहा रही है करोड़पति

हीरे-मोती निकालने का काम सूरत जिले के किसान महेंद्र कापड़िया घास उगाकर कर रहे हैं। हालांकि यह बात जान कर थोड़ा अटपटा लग सकता है, लेकिन यह वाकई सच है।

जयपुरMay 19, 2022 / 11:08 pm

Anand Mani Tripathi

Now farmers will earn from grass

अब घास से भी कमाएंगे किसान

फिल्म ‘उपकार’ का गीत ‘मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती…’ सभी ने सुना होगा। कुछ ऐसे ही खेत से हीरे-मोती निकालने का काम सूरत जिले के किसान महेंद्र कापड़िया घास उगाकर कर रहे हैं। हालांकि यह बात जान कर थोड़ा अटपटा लग सकता है, लेकिन यह वाकई सच है।
लखनऊ में दिया गया प्रशिक्षण

लखनऊ (यूपी) के कृषि प्रयोग और अन्वेषण केंद्र में करीब तीन माह की ट्रेनिंग लेकर लौटे युवा किसान महेंद्र ने दिणोद गांव में अपने 80 बीघा खेत में केवल पामरोजा घास के बीज बोए। देखते ही देखते यह घास पूरे खेत में फैल गई और तीन महीने में तैयार भी हो गई। इसके बाद महेंद्र ने लखनऊ के कृषि प्रयोग व अन्वेषण केंद्र से मंगाए बॉयलर और प्रोसेसर्स मशीन से घास से तेल निकालने का प्रयोग भी शुरू कर दिया। वे बताते हैं कि यह कम लागत और कम सिंचाई की खेती है। इससे मुनाफा भी अच्छा होता है।

एक बार उगाओ, सात साल तक पाओ
किसान महेंद्र के मुताबिक एक बीघा जमीन में पामरोजा घास की एक टन से ज्यादा पैदावार हो जाती है। सालभर में पांच बार यह पैदावार ली जा सकती है। खेत में पामरोजा घास बोने के बाद यह सात साल तक मामूली पानी की सिंचाई से उगती रहती है। एक टन पामरोजा घास से औसतन 8 लीटर तेल प्राप्त होता है। इसकी बाजार कीमत प्रति लीटर 2,500 रुपए से भी ज्यादा रहती है। बॉयलर-प्रोसेसर्स मशीन 50 प्रतिशत सब्सिडी पर उपलब्ध हो जाती है।
कास्मेटिक कंपनियां खरीदती है
इस तेल का सर्वाधिक उपयोग कास्मेटिक कंपनियां करती हैं। शैंपू, सेंट और अन्य सामान बनाने में इसका प्रयोग होता है। किसान महेंद्र का तेल महाराष्ट्र में स्थिति कंपनियां ले जाती हैं। इसका उपयोग हकीम और वैद्य भी करते हैं। कमर, हाथ, पैर और घुटना दर्द में इसका बेहतर प्रयोग होता है।
तूफान और सूखे में भी नुकसान नहीं
पामरोजा घास की एक ही बार बुवाई करनी होती है। इसे कम पानी से तैयार कर लिया जाता है। तूफान व सूखे जैसी स्थिति में भी इस घास को नुकसान नहीं होता है। इतना ही नहीं, तेल निकलने के बाद जो कचरा बचता है, वो भी ईंधन के रूप में उपयोग होता है। – महेंद्र कापड़िया, युवा किसान
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