आलाकमान के निर्देश के बाद सह प्रभारियों ने दावेदारों के बारे में फीडबैक लेना शुरू भी कर दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की किसान रैली के बाद के बाद चारों सह प्रभारी विवेक बंसल, काजी निजाम, तरुण कुमार और देवेंद्र यादव अपने-अपने प्रभार वाले जिलों में जाकर स्थानीय संगठन, विधायकों और विधानसभा प्रत्याशी रहे नेताओं की मैराथन बैठकें लेकर जिताऊ उम्मीदवारों के बारे फीडबैक लेंगे।
जानकारों की माने तो सह प्रभारी इसके बाद प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे और पीसीसी चीफ सचिन पायलट से चर्चा कर अपनी रिपोर्ट आलाकमान को सौंपेंगे।
ग्राउंड रिपोर्ट तय करेगी प्रत्याशी
पार्टी के जानकार सूत्रों की माने तो विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ग्राउंड रिपोर्ट के फॉर्मूले को अपनाने जा रहे हैं। हालांकि विधानसभा चुनावों में उम्मीदों के मुताबिक सीटों नहीं आने पर ग्राउंड रिपोर्ट पर सवाल जरुर खड़े हुए थे, लेकिन इसके बावजूद एक बार फिर ग्राउंड रिपोर्ट पर भरोसा जताया गया है।
सह प्रभारियों की रिपोर्ट के अलावा प्रदेश कांग्रेस और एआईसीसी अपने-अपने स्तर पर दावेदारों की जमीनी ग्राउंड रिपोर्ट तैयार करेगी। उसके बाद सभी सर्वे रिपोर्ट का मिलान कर कॉमन नाम आने पर उनके पैनल बनाए जाएंगे। ग्राउंड रिपोर्ट के जरिए दावेदारों की वास्तविक स्थिति का आकंलन कर उनके नामो पर विचार किया जाएगा।
सह प्रभारी भी बनाएंगे पैनल
वहीं दूसरी ओर विधानसभा की तर्ज पर ही लोकसभा चुनावों में भी चारों सह प्रभारी फीडबैक और ग्राउंड रिपोर्ट के आधार पर एक-एक लोकसभा सीट से तीन-तीन नामों का पैनल बनाकर 25 जनवरी तक एआईसीसी को भेजेंगे। उसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, प्रदेश प्रभारी, और चारों सह प्रभारियों की दिल्ली में बैठक होगी, ग्राउंड रिपोर्ट और पैनल के जरिए आए आए नामों पर चर्चा होगी।
समय से पहले होगी प्रत्याशियों की घोषणा
बताया जाता है कि लोकसभा चुनावों के मद्देनजर अभी से दावेदारों के बारे में फीडबैक लेने के पीछे पार्टी का उद्देश्य है कि इस बार समय से पहले ही प्रत्याशियों की घोषणा कर दी जाए, जिससे प्रत्याशियों को अपने-अपने क्षेत्र में काम करने का पर्याप्त समय मिल सके।
बता दें कि इस बार कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को राजस्थान से खासी उम्मीदें हैं, इसी के मद्देनजर पार्टी अपना मिशन 25 लेकर चल रही है। 2009 में हुए लोकसभा चुनावों में जहां पार्टी को 21 सीटों पर जीत मिली थी, वहीं 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में प्रचंड मोदी लहर के चलते कांग्रेस को सभी 25 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था।