फिर कहां से लाएंगे विकास के लिए धन
पेट्रोल—डीजल जीएसटी मेे लाने का विरोध करेंगे राजस्थान सहित 7 राज्य, राज्यों का तर्क,आभूषणों पर आइटीसी की मांग भी उठाएगा राजस्थान
जयपुर। जीएसटी काउंसिल की शुक्रवार को लखनउु में हो्ने वाली बैठक में राजस्थान सहित सात राज्य पेट्रोल—डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने का जोरदार विरोध करेंगे। इन राज्यों का तर्क है कि पेट्रोल—डीजल जीएसटी में चला गया तो राज्यों के पास विकास योजनाओं के लिए आर्थिक संसाधन कहां से आएंगे?
तकनीकी शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग इस बैठक में राजस्थान का प्रतिनिधित्व करने के लिए गुरुवार रात लखनउु पहुंच गए। बताया जा रहा है कि केन्द्र सरकार केरल हाईकोर्ट के निर्देश् पर पेट्रोल—डीजल को जीएसटी के दायरे में लाना चाहती है। इसके विरोध में पंजाब, महाराष्ट्र, केरल, त्रिपुरा, छत्तीसगढ व पश्चिम बंगाल भी राजस्थान के साथ हैं। इसको लेकर राजस्थान की अन्य राज्यों से बात भी हो चुकी है। इन राज्यों में आम सहमति के अभाव में पेट्रोल—डीजल को जीएसटी के दायरे में लाना मुश्किल माना जा रहा है, क्योंकि जीएसटी कानून के तहत कोई भी निर्णय लेने के लिए आम सहमति आवश्यक है।
आभूषणों पर आइटीसी की मांग
राजस्थान जीएसटी काउंसिल में यह भी मांग उठाएगा कि ज्वैलरी को आइटीसी का लाभ दिया जाए। हससे राजस्थान खासकर जयपुर के ज्वैलरी उद्योग को बड़ा लाभ मिल सकता है। राजस्थान इस मांग के संदर्भ में यह भी तर्क देगा कि सुप्रीम कोर्ट भी इस बारे में आदेश दे चुका है।
5603 करोड़ का बकाया मांगा जाएगा
प्रदेश का जीएसटी क्षतिपूर्ति का केन्द्र सरकार पर 5603 करोड़ रुपए बकाया है। इसमें से ज्यादातर राशि हाल के वर्षों की है।
क्षतिपूर्ति पांच साल और मिले
राजस्थान सहित अनेक राज्य यह मांग भी लगातार उठा रहे हैं कि जीएसटी क्षतिपूर्ति पांच साल तक और दी जाए। केन्द्र सरकार सेस के माध्यम से इस राशि का भुगतान करती है। अब तक यह राशि राज्यों को 2022 तक देने का प्रावधान है, लेकिन राज्यों की मांग है कि इसे 2027 तक बढ़ाया जाए।
यह तर्क देगा राजस्थान
कोरोनाकाल और बदलते परिवेश के कारण राज्यों पर आर्थिक भार बढ़ा है। ऐसे में आर्थिक संसाधनों में कटौती की गई तो राज्यों की समस्या बढ़ जाएगी।
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