जयपुर

अब गुर्जर नेता बोले, ‘पिछले आन्दोलन के साथियों को भूले कर्नल बैंसला, पुत्र मोह में ले रहे फैसले’

– गुर्जर आन्दोलन के लिए महापंचायत से जुडा मामला, महापंचायत का स्थान बदलने में फिर उभरी गुटबाजी ! कर्नल बैंसला के फैसले पर गुर्जर नेताओं का ऐतराज़, कहा- ‘पुत्र मोह में फैसले ले रहे कर्नल बैंसला’, ‘नहीं ली जा रही अन्य नेताओं की राय’, ‘13 साल के संघर्ष को फेल करने की साजिश’
 
 

जयपुरOct 15, 2020 / 10:48 am

Nakul Devarshi

जयपुर।
17 अक्टूबर को बुलाई गई गुर्जर महापंचायत के स्थान बदलाव को लेकर अब एक बार फिर गुर्जर समाज की अंदरूनी गुटबाजी खुलकर सामने आ गई है। कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के नेतृत्व वाली गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के फैसले पर गुर्जर नेता हिम्मत सिंह ने एतराज जताया है। हिम्मत सिंह ने कहा है कि बैंसला और उनके पुत्र विजय बैंसला बिना समाज के अन्य नेताओं से बात किये बार-बार फैसले ले रहे हैं जो आन्दोलन की दिशा को तो भटका ही रहा है साथ ही समाज को कमज़ोर करने का काम भी कर रहा है।
गौरतलब है कि कर्नल बैंसला ने गुर्जर आन्दोलन की रूपरेखा तय करने के लिए 17 अक्टूबर को सवाई माधोपुर के मलारना डूंगर में महापंचायत बुलाई थी। लेकिन बुधवार को महापंचायत के स्थान में बदलाव करते हुए उसे अब भरतपुर के पीलुकापुरा में बुलाया गया है। स्थान बदलाव क्यों किया गया है इस बारे में स्थिति साफ़ नहीं हो सकी है।
‘पुत्र मोह में फैसले कर रहे कर्नल बैंसला’

महापंचायत के स्थान बदलाव पर एतराज़ जताते हुए गुर्जर नेता हिम्मत सिंह ने ‘पत्रिका’ से कहा कि कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला पिछले आन्दोलन के दौरान साथ रहे नेताओं को भूल गए हैं और अपने पुत्र मोह के कारण फैसले ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि समाज के अन्य नेताओं से बातचीत किये बगैर फैसले लेना समाज हित में सही नहीं है। इस कारण आन्दोलन दिशाहीन होता है और समाज की कमजोरी सामने आती है।
‘संघर्ष-बलिदान को फेल करने की साजिश’

हिम्मत सिंह ने कहा कि गुर्जर समाज द्वारा तेरह साल के लगातार सतत संघर्ष व बलिदान को साज़िशन फैल करने का काम किया जा रहा है। बिना अन्य नेताओं से बातचीत कर पुत्र मोह में किये जाने रहे फैसलों से सरकार को समाज के बीच की कमजोरी दिखाई जा रही है।
‘आज तक कभी नहीं बदला गया महापंचायत का स्थान’

हिम्मत सिंह ने कहा कि पिछले लगभग 13 साल के दरम्यान ऐसा कभी नहीं हुआ कि महापंचायत बुलाई गई हो और उसके बाद स्थान में बदलाव किया गया हो। पहले मलारना डूंगर का स्थान भी बिना समाज के अन्य नेताओं से पूछकर घोषित किया गया और अब बिना पूछे ही नए स्थान पीलूकापुरा का चयन किया गया। यही वजह है कि उनके फैसलों पर एतराज जताया जा रहा है।
‘इतने समय से चुप क्यों थे बैंसला?’

गुर्जर नेता हिम्मत सिंह ने कहा कि कर्नल बैंसला पिछले करीब 19 महीने से सरकार से वार्ता कर रहे थे। लेकिन इस बीच उन्होंने आन्दोलन का एलान नहीं किया। अब पंचायत चुनाव और कोरोना काल के बीच आन्दोलन का एलान करने पर कई गुर्जर नेता सवाल उठा रहे हैं। समाज के नेता उनसे पूछ रहे हैं कि आखिर वे इतने समय तक चुप क्यों रहे?
‘सरकार से बातचीत करें कर्नल बैंसला’

हिम्मत सिंह ने कहा कि सरकार ने सरकारी भर्तियों में आरक्षण की मांग के सन्दर्भ में जब अपनी स्थिति साफ़ कर दी है तो कर्नल बैंसला को उनके साथ वार्ता करनी चाहिए। जब वे वार्ता ही नहीं करेंगे तो फिर गतिरोध तो बरकरार रहेगा ही। ऐसे में उन्हें गुर्जर नेता यही सुझाव देते हैं कि आन्दोलन पर उतरने से पहले सरकार से एक बार वार्ता ज़रूर कर ली जाए, तभी कोई हल निकल पायेगा।

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