बैठक में गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला, एडवोकेट शैलेन्द्र सिंह सहित कई नेता थे। सरकार की ओर से मंत्रीमंडलीय उप समिति के सदस्य पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह व सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री भंवर लाल मेघवाल बैठक में शामिल हुए। आंदोलन के समय मध्यस्थ रहे आई.ए.एस. नीरज के पवन बैठक में भी उसी भूमिका में नजर आए। गुर्जरों ने बैठक में पांच मांगें रखी। इन सभी मांगों पर सरकार ने आश्वान दिया है। इसमें सबसे मुख्य मुद्दा एक दिन पहले ही आरक्षण के खिलाफ हाईकोर्ट में दायर याचिका का था। सरकार ने कहा कि कैविएट पहले से दायर है। सरकार मामले में उचित पैरवी करेगी।
सरकार के साथ हुए समझौते को लेकर 5 फीसदी आरक्षण के अलावा इस बार गुर्जर समाज को एससी एसटी की तरह सुविधाओं को बढाने की भी मांग की गई। उन्होंने गुर्जर समाज को राजनीतिक लाभ के साथ अन्य सुविधाओं की बढोतरी की मांग की। गुर्जर आंदोलन के दौरान दर्ज हुए मुकदमों के निस्तारण के लिए डीआईजी क्राइम को नोडल अधिकारी बनाया गया है। न्यायालय में विचाराधीन मुकदमों को वापस लेने की मांग की गई। गत वर्षों में अटकी बैकलॉग की भर्तियों का समाधान निकालने का आश्वासन सरकार ने दिया है।
बैठक के बाद गुर्जर आंदोलन के कर्नल किरोडी सिंह बैसला ने कहा कि हमे उम्मीद है कि सरकार हाईकोर्ट में मजबूत पैरवी करेगी। सरकार से वार्ता पूरी तरह से सकारात्मक हुई। इसके अलावा एससएटी तरह की अन्य सुविधाएं भी समाज को दी जाए। बैठक में विश्वेंद्र सिंह ने कहा कि जब सवर्ण समाज को आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण कोर्ट में नहीं अटका तो गुर्जरों का 5 फीसदी आरक्षण भी नहीं अटकेगा।
इन बिंदुओं पर चर्चा हुई बैठक में-
1. वर्तमान में चल रही भर्तियों में आरक्षण मिले
2. बैकलॉग की भर्तियों के लिए नोडल अधिकारी नियुक्ति किया जाए
3. राजस्थान सर्विस रूल्स में संशोधन करना चाहिए
4. एसबीसी के 1252 लोगों का वेतन नियमित किया जाए
5. मृतक कैलाश पाटोली को मुआवजा और परिवार में किसी भी व्यक्ति को नौकरी दी जाए। आंदोलन के दौरान कैलाश पाटोली की मत्यु हो गई थी।