सेवादार गुरुदयाल सिंह बताते हैं कि गुरु तेग बहादुर राजा राम सिंह के साथ असम भी गए थे। यहां पर राजा को एक युद्ध करना था, लेकिन गुरु तेग बहादुर ने दोनों राजाओं को समझा बुझाकर युद्ध को टाल दिया था। यहां पर साल में एक बड़ा समागम होता है। ये समागम 23 से 40 दिन तक चलता है। 2003 से बाबा सुखदेव सिंह गुरुद्वारे की देखरेख कर रहे हैं।
शिक्षा और स्वास्थ्य पर दे रहे जोर
गुरुद्वारे की ओर से शिक्षा पर ध्यान दिया जा रहा है। यही वजह है कि यहां पर संगीत स्कूल भी चल रहा है। इस स्कूल में बच्चों से कोई फीस नहीं ली जाती। इसके अलावा इस वर्ष पांचवीं तक बाबा विधावा सिंह विद्या केंद्र सैकेंडरी स्कूल की भी शुरुआत की गई है। साथ ही बस्ती के लोगों ने हो योपैथी चिकित्सा केंद्र भी चल रहा है।
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गौसेवा करना पुण्य का काम
गुरुद्वारे के सेवादार गौ सेवा को पुण्य मानते हैं। यहां पर गौशाला भी चल रही है। इसमें 40 से अधिक गाय हैं। इन सभी की देखरेख सेवादार ही कर रहे हैं। इसके अलावा इस गुरुद्वारे में सभी धर्मों को बराबर स मान दिया गया है। यहां पर सिखों के गुरुओं की तस्वीर है तो हनुमान और कृष्ण भी हैं। यही नहीं भक्त फरीद को भी गुरुद्वारे में जगह दी गई है। इसके पीछे सेवादारों का कहना है इन सभी का जिक्र गुरु गं्रथ साहिब में किया गया है।
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इतिहास की बात
जयपुर में एेलोपैथी चिकित्सा पद्दति आने के बाद 1888 में सांगानेरी दरवाजे के बाहर मेयो अस्पताल बनाया गया। 14 अक्टूबर 1970 को जयपुर आए लार्ड मेयो ने अस्पताल की नींव रखी। इसके निर्माण पर उस समय दो लाख रुपए खर्च हुए। मेजर टी.़एच.़हैण्डले अस्पताल का मु य सर्जन था। मेया अस्पताल की इमारत में राजकीय महिला चिकित्सालय चल रहा है।