पंडित नरेंद्र नागर बताते हैं कि रामायण के अनुसार, हनुमान जी वानर के मुख वाले अत्यंत बलिष्ठ पुरुष हैं। उनके कंधे पर जनेऊ लटका रहता है। मस्तक पर जहां उन्होंने स्वर्ण मुकुट धारण किया है तो हाथ में वे अपना प्रिय अस्त्र गदा रखते हैं। बाल्मिकी रामायण के अनुसार जिन सात मनीषियों को इस धरती पर अमरत्व का वरदान प्राप्त है, उनमें हनुमानजी का भी नाम शामिल है। शास्त्रों में रूद्र अवतार हनुमान के पराक्रम का भी खूब उल्लेख है।
पवनपुत्र के यूं तो अनेक नाम प्रचलित हैं पर हनुमान और बजरंगबली के रूप में वे सबसे ज्यादा विख्यात हैं। आम भक्त उन्हें बजरंग बली के रूप में ज्यादा जानता और पूजता है। प्रश्न यह है कि उन्हें बजरंगबली क्यों कहा जाता है। इस संबंध में पंडित दिनेश शर्मा बताते हैं कि दरअसल हनुमानजी बेहद बलिष्ठ हैं, मांसल हैं और उनका शरीर बेहद मजबूत भी है। शास्त्रोंं में उल्लेखित है कि हनुमानजी का शरीर वज्र की तरह है। वे अतुलित बलशाली भी हैं। इन दोनों शब्दों- वज्र और बली को मिलाकर बजरंग बली शब्द बन गया। हनुमानजी इसी नाम से सबसे ज्यादा जाने जाते हैं।
जीवन में अनेक संकट, समस्याएं आती हैं जिनका सामना करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे हालात में हनुमानजी की पूजा सबसे प्रभावकारी सिद्ध होती है। हनुमानचालीसा का पाठ कर हनुमानजी को प्रसन्न किया जा सकता है। मंगलवार और शनिवार को किसी भी मंदिर में बैठकर हनुमानचालीसा का सात बार पाठ करें।