क्या है मामला आतंकियों ने 17 फरवरी 1995 को कांग्रेस नेता रामनिवास मिर्धा के बेटे राजेन्द्र मिर्धा का सी स्कीम स्थित उनके घर से अपहरण कर लिया था। आतंकियों ने मिर्धा की रिहाई के बदले खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट के मुखिया देवेन्द्र पाल सिंह भुल्लर को रिहा करने की मांग की थी। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए मॉडल टाउन कॉलोनी के एक मकान में आतंकी नवनीत कादिया का एनकाउंटर किया था। जबकि दयासिंह लाहौरिया उसकी पत्नी सुमन सूद और हरनेक सिंह फरार हो गए थे। लाहौरिया और सुमन सूद को 3 फरवरी 1997 को अमेरिका से प्रत्यर्पित करके भारत लाया गया था। कोर्ट ने लाहौरिया को आजीवन कारावास और सुमन सूद को पांच साल की कैद की सजा से दंडित किया था। वहीं हरनेक सिंह को वर्ष 2004 में पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार किया था और 26 फरवरी 2007 को राजस्थान पुलिस को सौंपा था। एडीजे कोर्ट ने 6 अक्टूबर 2017 को हरनेक सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।