23 अक्टूबर,2006 को हुए इस एनकाउंटर को मृतक दारा सिंह की पत्नी ने फर्जी बताकर अपने पति की हत्या का आरोप लगाया था। सुशीला की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जांच सीबीआई को सौंपी थी। सीबीआई ने बीजेपी नेता राजेन्द्र सिंह राठौड़ सहित तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ए.के.जैन व आईपीएस ए.पोन्नूचामी सहित कुल 15 पुलिसकर्मियों को आरोपी बनाया था। राठौड़ इस मामले में गिरफ्तार भी हुए लेकिन दो महीने बाद ही ट्रायल कोर्ट ने राठौड़ को डिस्चार्ज कर दिया था। हालांकि हाईकोर्ट ने इस आदेश को रद्द कर दिया था लेकिन,सुप्रीम कोर्ट ने राठौड़ की अपील पर हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी। बाद मंे हाईकोर्ट ने एे.के.जैन को भी डिस्चार्ज कर दिया था और 13 मार्च,2018 को ट्रायल कोर्ट ने बाकी सभी 14 आरोपियों को बरी कर दिया था।
सीबीआई का कहना है कि विजेन्द्र सीआपीसी की धारा-164 के तहत मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए बयानों से ट्रायल के दौरान पलट गया था और सुशीला देवी स्वयं सीबीआई जांच की मांग लेकर सुप्रीम कोर्ट तक गई थी लेकिन वह भी ट्रायल में बयानों से पलट गई। सीबीआई ने दोनों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है।
कोर्ट ने अरशद अली,निसार खान,नरेश शर्मा,राजेश चौधरी,जुल्फिकार,अरविंद भारद्वाज,सुरेन्द्र सिंह,जगराम और सरदार सिंह को नोटिस जारी किए हैं जबकि आईपीएस ए.पोन्नूचामी सहित सुभाष गोदारा,सत्यनारायण गोदारा और बद्रीप्रसाद की ओर से एडवोकेट अजय कुमार जैन के हाजिर हो गए। हालांकि अभी अदालत ने अपील दायर करने में देरी की माफी देने पर कोई फैसला नहीं किया है।