scriptअंबेडकर लॉ युनिवर्सिटी में वीसी की नियुक्ति पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब | HC seeks reply for apointment of VC of Ambedkar Law university | Patrika News

अंबेडकर लॉ युनिवर्सिटी में वीसी की नियुक्ति पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

locationजयपुरPublished: Jun 05, 2020 07:57:12 pm

Submitted by:

Mukesh Sharma

(Rajasathan Highcourt) हाईकोर्ट ने डॉ. भीमराव अंबेडकर लॉ युनिवर्सिटी में (Dr Dev swarup) डॉ.देवस्वरूप को (VC) वीसी नियुक्त करने पर (PS Higher education) प्रमुख उच्च शिक्षा सचिव, (Chanceller though secratary) विवि के चांसलर जरिए सचिव,(BCI)बीसीआई सचिव,(BCR)बीसीआर सचिव,(UGC)यूजीसी और डॉ.देवस्वरूप को (Notice) नोटिस जारी कर (reply) जवाब तलब किया है।

जयपुर
(Rajasathan Highcourt) हाईकोर्ट ने डॉ. भीमराव अंबेडकर लॉ युनिवर्सिटी में (Dr Dev swarup) डॉ.देवस्वरूप को (VC) वीसी नियुक्त करने पर (PS Higher education) प्रमुख उच्च शिक्षा सचिव, (Chanceller though secratary) विवि के चांसलर जरिए सचिव,(BCI)बीसीआई सचिव,(BCR)बीसीआर सचिव,(UGC)यूजीसी और डॉ.देवस्वरूप को (Notice) नोटिस जारी कर (reply) जवाब तलब किया है। न्यायाधीश गोवर्धन बाढ़दार और न्यायाधीश सी.के.सोनगरा की खंडपीठ ने यह आदेश प्रोफेसर केबी अग्रवाल की जनहित याचिका पर दिए।
एडवोकेट सुनील समदडिया ने कोर्ट को बताया कि डॉ.देवस्वरूप को 27 फरवरी को डॉ.भीमराव अंबेडकर लॉ युनिवर्सिटी का वीसी नियुक्त किया गया है। जबकि वह लॉ फील्ड से नहीं होकर सोश्यिल साइंस विषय के प्रोफेसर रहे हैं। कानून संबंधी विशेषज्ञता वाली युनिवर्सिटी में कानूनी क्षेत्र के विशेषज्ञ प्रोफेसर को ही वीसी नियुक्त करना चाहिए। सरकार ने एक्ट के विपरीत डॉ.देवस्वरुप को सलेक्ट कमेटी की सिफारिश के आधार पर नियुक्त नहीं किया है। एक्ट में सरकार ने पहले वीसी की नियुक्ति किसी भी क्षेत्र से करने का प्रावधान किया है जबकि पहले या उसके बाद नियुक्त होने वाले वीसी के लिए अलग—अलग मापदंड नहीं हो सकते।
युनिवर्सिटी एक्ट की धारा 11(2) और धारा 11(17) के प्रावधानों को चुनौती देते हुए कहा गया कि धारा 11(2) के तहत किसी भी एकेडमिक बैकग्राउंड वाले व्यक्ति को वीसी नियुक्त करना गलत है। देश की सभी नेशनल लॉ युनिवर्सिटीज में वीसी लॉ प्रोफेसर या एक्सपर्ट ही बन सकता है। यहां तक की इनमें कुलपति वहां के राज्यपाल ना होकर संबंधित हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश होते हैं। इसके अलावा विषय विशेष के अन्य विश्वविद्यालयों में संबंधित विषय के व्यक्ति को ही वीसी नियुक्त किया गया है। याचिका में कहा गया कि धारा 11(17) के तहत चांसलर राज्य सरकार के परामर्श के बाद बिना तय प्रक्रिया अपनाए विवि के पहले वीसी के तौर पर किसी भी व्यक्ति को नियुक्ति दे सकते हैं। इससे ना केवल शक्तियां का दुरुपयोग होगा, बल्कि यह संविधान के प्रावधानों के भी विपरीत है।

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