जयपुर

बिना चीर-फाड़ के गंभीर मरीज का बदला हार्ट वॉल्व

पहली बार टावर तकनीक से वॉल्व रिप्लेस कर बचाई मरीज की जान पहले हो चुकी थी बायपास सर्जरी, दोबारा करने में था जान को खतरा

जयपुरJun 28, 2020 / 12:38 pm

anand yadav

बिना चीर-फाड़ के गंभीर मरीज का बदला हार्ट वॉल्व

जयपुर। अजमेर के रहने वाले 67 वर्षीय मूलचंद (परिवर्तित नाम) के लिए दिल के इलाज की नई तकनीक वरदान साबित हुई। 10 साल पहले बायपास सर्जरी करवा चुके उन्हें वापस हृदय में समस्या होने लगी। हाई रिस्क मरीज होने के कारण उनकी दोबारा सर्जरी संभव नहीं थी तो बिना चीर-फाड़ के टावर तकनीक (ट्रांस कैथेटर एओर्टिक वॉल्व रिप्लेसमेंट) से इलाज कर उनकी जान बचा ली गई। शहर के एक निजी सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल में पहली बार इस तकनीक से किसी मरीज का उपचार किया गया है।
हाई रिस्क थे मरीज —
अस्पताल के चिकित्सकों के अनुसार मरीज की 10 साल पहले बायपास सर्जरी हो चुकी थी। अब मरीज को फिर से छाती में दर्द, सांस फूलने की शिकायत होने लगी थी। जांच में सामने आया कि मरीज की महाधमनी (एओर्टिक वॉल्व) सिकुड़ गई है। इस वॉल्व को रिप्लेस करने के लिए आमतौर पर ओपन चेस्ट सर्जरी ही करवाई जाती है। लेकिन मरीज दोबारा ओपन चेस्ट सर्जरी से गुजरने में सक्षम नहीं थे और उन्हें हाइपरटेंशन व कमजोर फेफड़ों की भी समस्या थी। ऐसे में उनकी वापस ओपन चेस्ट सर्जरी होने पर जान को खतरा था इसीलिए उनका, टावर तकनीक द्वारा इलाज करने का निर्णय लिया गया। करीब 50 मिनट के प्रोसीजर के दौरान मरीज को बिना बेहोश किये पैर की धमनी के रास्ते, टावर तकनीक के जरिये एओर्टिक वॉल्व बदला गया।
सामान्य जीवन जी रहा मरीज, तेजी से रिकवरी —
टावर तकनीक से वॉल्व बदलने के बाद मरीज को एक दिन आईसीयू में रखा गया और दो दिन बाद उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। मरीज की तेजी से रिकवरी हुई है और अब बिल्कुल स्वस्थ है और आराम से चल-फिर पा रहे हैं। उन्होंने बताया कि जिन हृदय रोग के मरीजों को ओपन हार्ट सर्जरी नहीं की जा सकती है उनके लिए टावर तकनीक वरदान है। इस तकनीक के जरिये बिना किसी चीर-फाड़ के वॉल्व रिप्लेसमेंट किया जा सकता है और इसके काफी बेहतर परिणाम मिलते है। मरीज की 10 साल पहले बायपास सर्जरी हो चुकी थी। अब मरीज को फिर से छाती में दर्द, सांस फूलने की शिकायत होने लगी थी। जांच में सामने आया कि मरीज की महाधमनी (एओर्टिक वॉल्व) सिकुड़ गई है। इस वॉल्व को रिप्लेस करने के लिए आमतौर पर ओपन चेस्ट सर्जरी ही करवाई जाती है। लेकिन मरीज दोबारा ओपन चेस्ट सर्जरी से गुजरने में सक्षम नहीं थे और उन्हें हाइपरटेंशन व कमजोर फेफड़ों की भी समस्या थी। ऐसे में उनकी वापस ओपन चेस्ट सर्जरी होने पर जान को खतरा था इसीलिए उनका, टावर तकनीक द्वारा इलाज करने का निर्णय लिया गया।
सामान्य जीवन जी रहा मरीज, तेजी से रिकवरी —

टावर तकनीक से वॉल्व बदलने के बाद मरीज को एक दिन आईसीयू में रखा गया और दो दिन बाद उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। मरीज की तेजी से रिकवरी हुई है और अब बिल्कुल स्वस्थ है और आराम से चल-फिर पा रहे हैं। उन्होंने बताया कि जिन हृदय रोग के मरीजों को ओपन हार्ट सर्जरी नहीं की जा सकती है उनके लिए टावर तकनीक वरदान है। इस तकनीक के जरिये बिना किसी चीर-फाड़ के वॉल्व रिप्लेसमेंट किया जा सकता है और इसके काफी बेहतर परिणाम मिलते है।

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