नजरों से बचे रहें, इसलिए हटाए बोर्ड
ज्यादातर फार्म हाउस, रिसोर्ट संचालनकर्ताओं ने मुख्य सड़क से नाम के बोर्ड हटा लिए, ताकि सीधे तौर पर नजरों से बच सकें। लोग बांध पर पहुंचते रहे, लेकिन खाली देख लौटते रहे। बताया जा रहा है कि 34 गांव शामिल हैं, जहां बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण चिह्नित किए जा चुके हैं। हालांकि, जिम्मेदारों को ऐसे निर्माण की जानकारी है।
यों चलता रहा खेल
यहां पहले नदी के पाट की जमीन पर कुछ समय तक काश्तकारी कराकर उनसे खातेदारी की जमीन में तब्दील करवाता है। इसके बाद इस खातेदारी की जमीन को खरीदता है। तहसील के कारिन्दों की मिलीभगत से इस जमीन के दस्तावेज बनवाए जाते हैं और यहां तक कि इन जमीनों की रजिस्ट्री तक करवाई जाती है।
क्या इसलिए नहीं भर रहा रामगढ़ बांध
1. दिल्ली रोड से ताला रोड पर तहसीलदार की ढाणी में दो फार्म हाउस तक पहुंचने के लिए सड़क अब भी बनी हुई है। इससे बहाव क्षेत्र दो हिस्सों में बंटा हुआ है। जेडीए, जिला प्रशासन सब जानते पर, कार्रवाई नहीं होती है।
2. चक चारणवास में एक रिसोर्ट-फार्म हाउस के करीब आधा किलोमीटर भीतर और बहाव क्षेत्र के अंतिम छोर में अब भी कब्जा। ग्रामीण के अनुसार कब्जा है लेकिन जेडीए के कागजों से गायब। हालांकि यहां से गेट जरूर हटाया गया है।
3.राजपुरवास ताला में नया निर्माण शुरू कर दिया गया। यहां बाउण्ड्रीवाल बनाने का काम चल रहा है।
4. यहां से रामगढ़ रोड की तरफ भी खातेदारी जमीन की आड़ में फसल।
नजारे जो दे रहे खुशी के साथ दुख भी
फसलें लहलहा रही हैं
चारों ओर फसल लहलहा रही है। बाजरा हो या फिर अन्य सब्जियों की खेती, सभी बम्पर है।
पानी की कलकल गायब
बाजरा हो या फिर अन्य सब्जियों की खेती, सभी बम्पर है। किसान और गांव वाले खुश हैं।
कब्जेदार अब भी हावी
रसूखदारों और भू-माफिया अब भी सक्रिय, जो बहाव क्षेत्र में कब्जाई जमीन को बचाने में जुटे हैं।