वहीं, राजस्थान के अंतर्गत आने वाली सभी गाडिय़ों पर एक चिप भी लगाई जाएगी, ऐसे में जो भी गाड़ी उस चिप के लगाने के बाद टोल प्लाजा से निकलेगी, तब टोल प्लाजा पर लगे एएनपीआर (ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रीडर) सिस्टम के जरिए उस गाड़ी का संपूर्ण डाटा भी प्राप्त किया जा सकेगा।
इस सिस्टम के लगने के बाद टोल प्लाजा पर ही एक कंट्रोल रूम में बनाया जाएगा। ऐसे में उस कंट्रोल रूम के अंतर्गत सभी गाडिय़ों का डाटा भी एकत्र होगा। इसके अंतर्गत वाहन ओवरलोड है या नहीं, उनकी फिटनेस हुई या नहीं, या उसका टैक्स जमा है या नहीं, इन सभी तरह की जानकारी कंट्रोल रूम को मिलेगी।
ऐसे में यदि उस व्यक्ति ने टोल प्लाजा क्रॉस करने के बाद भागने की कोशिश भी की गई तो उसका ई-चालान भी उसको भेजा जाएगा। इस योजना के शुरू होने से ट्रांसपोर्टर के साथ मैनुअल हैंडलिंग तो बंद हो जाएगी, वहीं, इसके साथ यह राजस्व प्राप्त करने में हो रहा लीकेज भी दूर होगा।
गौरतलब है कि तत्कालीन परिवहन आयुक्त दीपक उप्रेती ने इस प्रोजेक्ट को लाने की कवायद की थी, लेकिन उस समय यह प्रोजेक्ट धरातल पर नहीं उतर पाया था। अब परिवहन आयुक्त ने इस प्रोजेक्ट को लागू करने की कवायद तेज कर दी है। परिवहन आयुक्त रवि जैन का कहना है कि इस उच्च तकनीक वाले प्रोजेक्ट को लेकर तैयारियां पूरी ली गई हैं। इससे भ्रष्टाचार दूर होगा, वहीं, परिवहन विभाग को सभी डाटा भी ऑनलाइन उस मशीन के जरिए ही देख सकेगा।