राजस्थान हाईकोर्ट ने ललित किशोर एवं अन्य 154 याचिकाओं पर सुनवाई करने के बाद फैसला सुनाया है। कोर्ट ने ऐसे लैब टेक्नीशियन डिप्लोमाधारी जिनके पास 12वीं कक्षा में विज्ञान विषय नहीं था उनको राहत देने से इनकार कर दिया। इसके अलावा एक साल का लैब टेक्नीशियन का डिप्लोमा रखने वाले अभ्यर्थियों की याचिकाएं भी कोर्ट ने खारिज कर दी हैं। कोर्ट ने पुनर्मुल्यांकन के परिणाम को मुख्य परिणाम की तिथि से लागू करने से इनकार दिया। जिसकी वजह से आवेदन की अंतिम तिथि के बाद पुनर्मुल्याकंन के जरिए पात्र होने वाले अभ्यर्थियों को भर्ती में शामिल नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि विधि द्वारा स्थापित विश्वविद्यालय को डिग्री या डिप्लोमा कोर्स के लिए काउंसिल की अनुमति की जरूरत नहीं है। ऐसे में निजी विश्वविद्यालयों से डिप्लोमा करने वाले अभ्यर्थियों के राजस्थान पैरा मेडिकल काउंसिल पन्द्रह दिन में इन अभ्यर्थियों का रजिस्ट्रेशन करे। प्रदेश के बाहर से डिप्लोमा करने वालों ने यदि काउंसिल में पंजीकरण से पहले संबंधित राज्य से एनओसी हासिल की हुई है तो उन्हें भर्ती में पात्र मानने को कहा है। इसके साथ ही अदालत ने भर्ती में आवेदन की अंतिम तिथि 30 सितंबर 2020 के बाद काउंसिल से पंजीकरण कराने वाले अभ्यर्थियों के लिए 18 नवंबर से तीन सप्ताह में दस्तावेज सत्यापन की प्रक्रिया शुरू करने को कहा है। इसमें 18 नवंबर तक पंजीकरण कराने वाले अभ्यर्थियों को पात्र माना जाएगा। गौरतलब है कि कर्मचारी चयन बोर्ड ने गत 12 जून को लैब टेक्नीशियन के 1119 और सहायक रेडियोग्राफर के 1058 पदों पर भर्ती निकाली थी। जिसमें अभ्यर्थियों ने कई बिंदूओं को लेकर याचिकाएं दाखिल की थी, कोर्ट ने सभी पर फैसला सुना दिया है।