पद्दोन्नति में आरक्षण मामले पर छह माह में राजस्थान उच्च न्यायालय करें सुनवाई
उच्चतम न्यायालय ने मुख्य सचिव व डीओपी सचिव के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई को किया बंद
जयपुर•Jan 24, 2020 / 06:10 pm•
Ankit
जयपुर। उच्चतम न्यायालय ने पदोन्नति में आरक्षण से संबंधित मामले की सुनवाई राजस्थान उच्च न्यायालय को छह माह में करने के आदेश दिए हैं। उच्चतम न्यायालय ने राज्य सरकार की 11 सितंबर 2011 की अधिसूचना व भटनागर समिति से संबंधित सभी याचिकाओं का निपटारा कर दिया। इसी के साथ मामले में राज्य सरकार के पूर्व सीएस सीके मैथ्यू सहित तत्कालीन सीएस व डीओपी सचिव के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई को बंद कर दिया। बजरंगलाल शर्मा की अवमानना याचिका पर दोनो पक्षो की बहस के बाद 14 जनवरी को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था। गुरुवार को न्यायाधीश यू यू ललित की बैंच ने फैसला सुनाया है।
उच्चतम न्यायालय में बजरंग लाल शर्मा ने अवमानना याचिका दायर की थी। इसी के साथ पदोन्नति में आरक्षण को चुनौती देने के संबंध में समता आंदोलन समिति सहित अन्य की याचिकाएं उच्च न्यायालय में लंबित है। उच्चतम न्यायालय में 14 जनवरी को सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष सिंघवी ने सरकार का पक्ष रखते हुए बताया कि नोटिफिकेशन जारी करने को राजस्थान उच्च न्यायालय में भी चुनौती दी है जो फिलहाल पेडिंग है वही इस मामले में कोर्ट की अवमानना नही कि गयी है। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने 11 सितंबर 2011 की अधिसूचना से आरक्षित वर्ग को पारिणामिक वरिष्ठता का लाभ दिया था यानि जिस तारीख से आरक्षित वर्ग के कर्मचारी पदोन्नत हुए, उसी तारीख से उन्हें वरिष्ठता का लाभ दिया गया। सरकारी सेवा में पदोन्नति में आरक्षण के संबंध में सेवा नियमों में संशोधन को समता आंदोलन समिति ने उच्च न्यायालय में चुनौती दे रखी है। भटनागर समिति की नौकरियों में आरक्षित वर्ग के प्रतिनिधित्व के संबंध में एकत्रित किए गए आंकड़ों को गलत बताते हुए उच्च न्यायालय में याचिका चल रही है।