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जयपुर

चार महीने के लंबे इंतजार के बाद मासूम पहुंचेंगे अपने घर

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जयपुरJan 23, 2019 / 02:48 pm

Deepshikha Vashista

jaipur

चार माह बाद आखिर बच्चों को मिली खुशी

जयपुर। पिछले चार महीने से घर वापसी का इंतजार कर रहे बिहार के 166 बच्चों की आखिर बुधवार सुबह नौ बजे घर वापसी हो ही गई। इन सभी बच्चों के साथ उन 14 बच्चों की भी घर वापसी हुई है जिन्हें हाल ही में बालश्रम से मुक्त कराया गया था। बीकानेर-गोवाहाटी एक्सप्रेस ट्रेन से आज सुबह 166 बच्चे रवाना हुए हैं। बच्चों की घर वापसी के मौके पर जिला कलक्टर एवं जिला बाल संरक्षण इकाई के अध्यक्ष जगरूप सिंह, बाल कल्याण समिति जयपुर के अध्यक्ष नरेंद्र सिखवाल व समिति के सदस्य समेत बाल निदेशालय के अधिकारी भी रेलवे स्टेशन पहुंचे।
पुलिस और मानव तस्करी विरोधी यूनिट की ओर से चलाए गए ऑपरेशन मुस्कान में मुक्त करवाए गए बिहार के बच्चे शेल्टर होम्स में रहकर अपने घर वापसी का इंतजार कर रहे थे। बिहार सरकार की ओर से इस बार बच्चों को लेने आने वाली टीम ने हाथ खड़े कर दिए थे। इसके बाद बाल कल्याण समिति की ओर सामाजिक न्याया एवं आधिकारिता विभाग से बच्चों की वापसी के लिए विभागीय स्तर पर ही टीम गठित कर बच्चों की घर वापसी के लिए कहा गया। लेकिन पहले विधानसभा चुनाव और फिर कुंभ मेला बच्चों की घर वापसी में रोड़ा बना हुआ था।
छह सदस्यीय टीम के साथ रवाना
सभी 166 बाल श्रमिकों को छह सदस्यीय टीम के साथ भेजा गया है। इसके अलावा बच्चों की सुरक्षा के लिए 12 चालानी गार्ड भी भेजे गए हैं। ये सभी बच्चों को सुरक्षित लेकर बिहार सरकार के सुपुर्द करेंगे। इस टीम के प्रभारी जिला बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक अश्विनी शर्मा है। समिति के अध्यक्ष नरेंद्र सिखवाल ने बताया कि बालश्रमिकों के उचित पुनर्वास व सरकारी योजनाओं से इन्हें लाभ दिलाने के लिए सभी बच्चों का पूरा रिकॉर्ड डिजीटल भी कर दिया गया है। ये रिकॉर्ड बिहार सरकार के श्रम विभाग व सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अधिकारियों के सुपुर्द कर दिया जाएगा।

ऑपरेशन मुस्कान के तहत छुड़ाए गए बच्चे
पुलिस और मानव तस्करी विरोधी यूनिट की ओर से सितम्बर में एक माह का ऑपरेशन मुस्कान चलाकर इन बच्चों को मुक्त करवाया गया। छुड़ाए गए मासूमों ने काउंसलिंग के दौरान दर्द बयां किया था। इन मासूमों से 18 घंटे तक काम करवाया गया। एक वक्त का भोजन दिया जाता था। यदि घर जाने की जिद करते तो इन्हें बुरी तरह से पीटा जाता था। ये मासूम चूड़ी कारखानों, ईंट के भट्टों, आरीतारी व गोटा पत्ती के काम करते हुए मुक्त कराए गए थे। विभागीय पूरी कार्रवाई नहीं होने के चलते इन मासूमों को बाल गृह में रखा गया था।

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