धोखेबाजों से बचने के लिए अस्पताल कर रहे हैं एआई तकनीक का इस्तेमाल
चीन में धोखाधड़ी करने वाले लोग डॉक्टर का अपॉइंटमेंट लेकर उसे बेचते हैं ऊंचे दामों पर
धोखेबाजों से बचने के लिए अस्पताल कर रहे हैं एआई तकनीक का इस्तेमाल
चीन की राजधानी बीजिंग में 24 अस्पताल ऐसे हैं, जो अस्पताल में आकर धोखाधड़ी करने वाले लोगों को पकडऩे के लिए फेशियल रिकॉग्नीशन तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। बीजिंग म्यूनिसिलपल हेल्थ कमीशन के मुताबिक पेकिंग यूनिवर्सिटी फस्र्ट हॉस्पिटल, पेकिंग यूनिवर्सिटी पीपल्स हॉस्पिटल, बीजिंग शाओयांग हॉस्पिटल और बीजिंग कैंसर हॉस्पिटल तकनीक का इस्तेमाल करके स्केलपर्स या हुआंगनियु की पहचान कर रहे हैं। स्केलपर्स वो लोग होते हैं जो डॉक्टर का अपॉइंटमेंट ले लेते हैं और फिर उसे किसी जरूरतमंद मरीज को ऊंचे दाम पर बेच देते हैं। चीन में इन स्केलपर्स की पहचान की कोशिश बहुत मेहनत से की जा रही है। स्केलपर्स भीड़भाड़ वाले अस्पतालों में अवैध रूप से डॉक्टर के अपॉइंटमेंट का टिकट खरीद लेते हैं और फिर उसे मूल से कई ऊंचे दाम में बेच देते हैं। यह अवैध वसूली कई बार सैकड़ों युआन में पहुंच जाती है।ऐसे में उन मरीजों को मुश्किल का सामना करना पड़ता है, जो वाकई बीमार हैं। साल की शुरुआत में स्केलपर्स के खिलाफ कड़ा कदम उठाते हुए सरकार ने सजा के तौर पर हाईस्पीड ट्रेन या फ्लाइट के लिए टिकट लेने से प्रतिबंधित करने के अलावा उनकी कंपनी रजिस्टर करने और बैंक लोन देने से भी इंकार कर दिया था। साल 2017 से अब तक पुलिस 2100 स्केलपर्स के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर चुकी है। स्केलपर्स को रोकने के लिए बीजिंग के कई हॉस्पिटल्स ने रजिस्ट्रेशन के लिए अपना खुद का एप बनाया है, जो टिकट इश्यू करते समय सारी जानकारियां लेता है और मरीजों का वेटिंग टाइम भी कम करता है। वैसे चीन एआई का इस्तेमाल हवाई अड्डों पर पहले ही करना शुरू कर चुका है। सुरक्षा के लिहाज से भी इस तकनीक को उम्दा माना जाता रहा है। बीजिंग और कई दूसरों शहरों में सार्वजनिक शौचालयों में टॉयलेट पेपर की बढ़ती खपत को रोकने के लिए भी वहां फेशियल रिकॉग्नीशन तकनीक का इस्तेमाल किया ही जा रहा है।
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