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जयपुर

आपकी बात, खाद्य पदार्थों में मिलावट क्यों नहीं रुक पा रही है?

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रिया आईं, पेश है चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

जयपुरNov 02, 2020 / 03:26 pm

Gyan Chand Patni

आपकी बात, खाद्य पदार्थों में मिलावट क्यों नहीं रुक पा रही है?

आपकी बात, खाद्य पदार्थों में मिलावट क्यों नहीं रुक पा रही है?

भ्रष्टाचार के कारण बेलगाम मिलावटखोर

जो चीज आप खा रहे हैं, वह शुद्ध हो इसकी कोई गारंटी नहीं है। दरअसल, खानपान की चीजों में मिलावट के रूप में लोगों को धीमा जहर परोसा जा रहा है। आंकड़े बताते हैं कि पिछले कुछ सालों में मिलावटी, दूषित, घटिया और नकली ब्रांड वाले खाद्य पदार्थों की मात्रा बढ़ी है। त्योहारी सीजन में तो खाद्य पदार्थों में मिलावट और घटिया गुणवत्ता का यह खेल चरम पर होता है। भ्रष्ट तंत्र और मजबूत निगरानी नहीं होने से मिलावट का यह धंधा धड़ल्ले से फल-फूल रहा है। दाल, दूध, मावा, मसाले, फल-सब्जियां सहित खाने-पीने की करीब हर चीज में मिलावट है। स्वास्थ्य व खाद्य विभाग में भ्रष्टाचार इतने चरम पर हैं कि वह मिलावट खोरी पर लगाम कसने में नाकाम नजर आ रहे हैं। इसका खमियाजा लोग भुगत रहे हैं।
-संदीप गढ़पाल, कांकेर, छत्तीसगढ़
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जरूरी है जागरूकता अभियान
खाद्य पदार्थों मे मिलावट, उनकी गुणवत्ता और पौष्टिकता में बदलाव ला देती है। इस मिलावट का स्तर त्योहारों के सीजन में अत्यधिक हो जाता है। हर व्यापारी को अधिक लाभ कमाने की इच्छा होती है, जिसके कारण वह खाद्य पदार्थों में घटिया पदार्थ मिला उन्हें बाजार में बेचता है। इन व्यापारियों को पदार्थ की गुणवत्ता से कोई लेना-देना नहीं होता है। मिलावट का यह खेल दूध से बने पदार्थों से लेकर खाना पकाने के तेल, अनाजों, दालों, मसालों, मिठाइयों, फल-सब्जियों आदि में बे रोक-टोक चलता रहता है। मिलावट रोकने के लिए जागरूकता अभियान जरूरी है। सरकार ने मिलावट को देखते हुए विभिन्न अधिनियम बनाए हैं, पर भ्रष्टाचार के चलते इन कानूनों का पालन पूरी तरह से नहीं हो पाता है और मिलावट का खेल बदस्तूर जारी रख आम उपभोक्ता की सेहत से खिलवाड़ किया जाता है।
-नरेश कानूनगो, बेंगलुरू
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रिश्वतखोरी रोकी जाए
असल में ज्यादा मुनाफे केे लिए मिलावटी चीजें बेची जा रही हैं। इस प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने की जिम्मेदारी जिन अधिकारियों पर है, उनका पैसे से मुंह बंद कर दिया जाता है। अगर खाद्य पदार्थों में मिलावट को रोकना है तो पहले रिश्वतखोरी बंद होनी चाहिए। जनता को भी जागरूक होना होगा।
-खींवराज घांची, मेड़ता सिटी, नागौर
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दिखावटी है मिलावट रोकने का अभियान
सरकारी महकमों में इतना भ्रष्टाचार है कि अधिकारी कानून का डर दिखाकर अवैध वसूली करते हैं। खानापूर्ति करते हैं। वास्तव में वे पैसे लेने के लिए जाते हैं। कभी-कभी अपनी जरूरत का सामान उठाकर चले जाते हैं। ‘शुद्ध के लिए युद्ध अभियान महज दिखावा है। कभी अधिकारी छानबीन करने जाते भी हैं, तो पैसे लेकर मामला रफा-दफा कर देते हैं। खाद्य विभाग, नगर निगम और पुलिस को सिर्फ अपने हिस्से से मतलब होता है। साथ ही खाद्य विभाग के पास जांच के लिए पर्याप्त कर्मचारी भी नही हैं। पैसा ले देकर बिना जांच के ही दुकानदारों को फूड सेफ्टी लाइसेंस मिल जाता है।
-अशोक कुमार शर्मा, जयपुर
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सख्त कानून की जरूरत
मिलावटखोरों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई में शिथिलता, बढ़ता भ्रष्टाचार, उत्पादों की कमी, बेतहाशा बढ़ती जनसंख्या के कारण निरंतर बढ़ती जा रही मांग, अधिक मुनाफा कमाने की लालसा, गिरता नैतिक चरित्र व सामाजिक मूल्यों में गिरावट इत्यादि ऐसे कारण हैं जिससे खाद्य पदार्थों में मिलावट रुक ही नहीं पा रही है। बढ़ती जा रही मिलावट को रोकने के लिए कानून को और अधिक सख्त बनाकर प्रभावी क्रियान्वयन किया जाना चाहिए।
-श्याम सुन्दर कुमावत, किशनगढ, अजमेर
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नियम-कानूनों की पालना नहीं
खाद्य पदार्थों में मिलावट नहीं रुक पा रही है। मुंह मांगे दाम देने पर भी शुद्ध गुणवत्ता युक्त सामग्री उपलब्ध नहीं कराई जाती। इसकी एक वजह मांग की तुलना में उत्पादन कम होना है। साथ ही शुद्ध गुणवत्ता युक्त सामग्री के बारे में जनसामान्य को जानकारी नहीं मिल पाती। रातोंरात रईस बन जाने की लालसा के कारण भी मिलावट बढ़ रही है। नियम कानून की पालना करवाने में शिथिलता बरती जाती है।
-डॉ. लोकमणि गुप्ता, कोटा
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मुनाफाखोरी है मुख्य वजह
आजकल बाजार में खाद्य पदार्थों में मिलावट लगातार बढ़ती जा रही है। इसका पहला कारण यह है कि खाद्य पदार्थों की समय-समय पर जांच नहीं हो रही है। दूसरा कारण यह भी है कि दुकानदार अधिक से अधिक पैसे कमाना चाहता है। इसलिए मिलावट करता है। इससे लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है और कई बीमारियां जन्म ले रही हैं।
-जयन्ति लाल, जालोर।
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सरकार की सक्रियता जरूरी
शुद्ध के लिए युद्ध में पूर्ण सफलता के लिए उपभोक्ता को सजग होना होगा। सरकार को भी सक्रियता दिखानी होगी, तभी यह अभियान सफल होगा
– दानाराम भामू मोमासर, श्रीडूंगरगढ़, बीकानेर
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खाद्य विभाग नहीं सतर्क
खाद्य पदार्थों में मिलावट नहीं रुक पा रही है, क्योंकि विभाग के फूड इंस्पेक्टर निरीक्षण के नाम पर खानापूर्ति कर रहे हैं। खाद्य विभाग को चाहिए कि प्रभावी निरीक्षण किया जाए, जिससे लोगों के जीवन से खिलवाड़ करने वाले व्यापारियों के खिलाफ कार्रवाई हो सके।
-कुमेर मावई, नयावास, गुढ़ाचन्द्रजी
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सख्ती जरूरी
खाद्य पदार्थों में मिलावट जानलेवा साबित हो सकती है। इसलिए इस मामले में सख्ती जरूरी है। हर अधिकारी को यह समझना होगा कि इससे हमारा और हमारे परिवार का जीवन भी बर्बाद कर सकता है, क्योंकि वे भी बाजार से ही सामान खरीदते हैं।
-अनिल कुमार, जोधपुर
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सरकारों की विफलता का परिणाम
खाद्य पदार्थों के मिलावट को रोकने में सरकारें विफल साबित हो रही हैं। अमूमन कोई भी खाद्य पदार्थ सुरक्षित नहीं हैं। चंद रुपए के लालच में व्यापारी इन्सानियत से खिलवाड़ कर रहे हैं। इस गोरखाधन्धे पर अंकुश लगाने की तरफ सरकार को ध्यान देना होगा।
-अब्दुल रहीम छत्तीसगढ़
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नैतिक पतन से बढ़ी समस्या
बढ़ती मिलावट का मुख्य कारण नैतिकता का पतन है। अधिकारियों और व्यापारियों की मिलीभगत के चलते मिलावट कैसे रुक सकती है। हर माह अधिकारियों के यहां मुफ्त में राशन पहुंचता है। दूसरे खर्र्चे भी उठाए जाते हैं। दिखावे के सैम्पल लेना और बाद में बदल देना अधिकारियों के बाएं हाथ का खेल है। यदि कोई व्यापारी ईमानदारी से व्यापार करता है तो उसको फंसाने की कोशिश होती है।
-अशोक चन्द्रजोशी, धार, मप्र
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नियमित जांच और कठोर कार्रवाई का अभाव
खाद्य पदार्थों में मिलावट नहीं रुकने के कई कारण हैं। शुद्ध के लिए युद्ध जैसे अभियानों का भी पूर्व में प्रचार प्रसार हो जाता है, जिससे मिलावटखोर सतर्क हो जाते हैं। कठोर कार्रवाई के अभाव में कोई सबक नहीं मिलता। यदि नियमित जांच होने के साथ उत्पादन स्थल पर ही सघन निरीक्षण के साथ कठोर कार्रवाई हो तब मिलावट पर अंकुश संभव है।
-छगन लाल व्यास, खंडप, बाड़मेर
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आवश्यकता अधिक उत्पाद कम
खाद्य पदार्थों में मिलावट नहीं रुकने का एक कारण ये है कि बहुत सी चीजों की मांग इतनी बढ़ गई है कि उसकी पूर्ति सम्भव नहीं है। जब पूर्ति सम्भव नहीं तो मात्रा बढ़ाने के लिए मिलावट का सहारा लिया जाता है। दूसरी बात ये है कि यहां लोग सस्ते सामान पसंद करते हैं। मिलावट करके दुकानदार सस्ती चीजें दे देते हैं। सरकार को खाद्य पदार्थों की समय-समय पर जांच करवाना चाहिए।
-शत्रुंजय तिवारी, दुग, छत्तीसगढ़
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निगरानी तंत्र मजबूत नहीं
यह विडंबना ही होगी कि पूरा पैसा चुकाने के बाद भी जनता को निरापद खाद्य सामग्री नहीं मिल पा रही है। इसके लिए सरकार और प्रशासनिक तंत्र दोनों जिम्मेदार हैं। सिर्फ त्योहारों के समय ही निगरानी तंत्र सक्रिय होता है और एक दो जगह कार्रवाई करके अपने कर्त्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं।सरकार की तरफ से भी निगरानी तंत्र की मजबूती के लिए कुछ खास प्रयास नहीं किए गए और परिणामस्वरूप दूषित खाद्य के सेवन से अनेक बीमारियां जन्म ले रही हैं। लोक स्वास्थ्य से जुड़ा होने के कारण सरकार को इस विषय पर गंभीर होकर सोचना चाहिए। भ्रष्ट अफसरों पर भी कार्रवाई करनी चाहिए, जो महज खानापूर्ति करके दोषियो को सरंक्षण देते है।
-गुमान दायमा, हरसौर, नागौर

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