मुंबई, बेंगलूरु, पुणे और नासिक के कई सुपर बाइक मैकेनिक्स ने 2002 के बाद से इंपोर्टेड मोटरसाइकिल को देश में मंगवाने का एक नया तरीका अपनाया। इसके जरिए ड्यूटी से बचा जा सकता था और फर्जी कागजात तैयार किए जा सकते थे।
2. कस्टम ड्यूटी तो दी लेकिन रजिस्ट्रेशन नहीं
– 2012 में जब केंद्र सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया और स्पेयर्स के जरिए यहां तैयार अवैध सुपरबाइक्स को सीज करना शुरू किया तो लोगों ने इसे देश में मंगाने का नया जरिया अपनाया।
– इसके बाद उसी पुराने तरीके से इन बाइक्स पर किसी अन्य वाहन का नया रजिस्ट्रेशन लगा दिया जाता है।
जब वही बाइक यहां मौजूद तो फिर अवैध क्यों मंगाई?
भारत में बिकने वाली वैध सुपर बाइक्स और बाहर से मंगवाई जाने वाली अवैध मोटरसाइकिलों की कीमत में काफी अंतर आ जाता है। विदेशों में मिलने वाली मोटरसाइकिलों की कीमत काफी कम होती है लेकिन जब उस मोटरसाइकिल को भारत मंगवाया जाता है तो काफी महंगी हो जाती है।
भारत में मोटरसाइकिल की कीमत
700000
400000
(अनुमानित) ग्रे मार्केट में इनकी मांग ज्यादा
1. कावासाकी निंजा 1000आर 2. होंडा सीबीआर रेप्सॉल स्पेशल एडिशन
3. सुजुकी हायाबूसा 4. यामाहा आर1
5. केटीएम 600
6. होंडा वीएफआर 700
7. होंडा सीबीआर
ग्रे मार्केट में मिलने वाली ऐसी अवैध मोटरसाइकिल ज्यादातर 2012 से पहले के एडिशन की होती हैं। इन मोटरसाइकिलों के स्पेयर्स पहले ही इंपोर्ट करवा कर कुछ मैकेनिक्स ने रख लिए हैं और समय-समय पर इनको ये तैयार कर बेचते हैं।
कहने को तो इस बाजार में गाडिय़ों की कोई निर्धारित कीमत नहीं होती है लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ग्रे मार्केट की नई सुपर बाइक्स 4 से 15 लाख के बीच और सैकेंड हैंड 2 से 8 लाख के बीच मिल जाती हैं।
ज्यादातर सुपर बाइक्स की डील के लिए इन दिनों ग्रे मार्केट के डीलर सोशल नेटवर्किंग के जरिए संपर्क में रहते हैं। इनको इस जरिए मोनिटर करना आसान नहीं होता जिससे यह बचे रहते हैं।
वैसे तो इन मोटरसाइकिलों की सही संख्या उपलब्ध नहीं है लेकिन सूत्र बताते हैं कि 5 हजार से ज्यादा ऐसी सुपर बाइक्स देश में मौजूद हैं। वहीं यदि जयपुर की बात की जाए तो यहां पर ग्रे मार्केट से खरीदी गई सुपर बाइक्स की संख्या 100 के करीब है।
किसी अन्य देश से नई सुपर बाइक को इंपोर्ट करवाने पर भारत में 88 प्रतिशत और सैकेंड हैंड पर 142.88 प्रतिशत कस्टम ड्यूटी देनी पड़ती है। वहीं राज्यों के रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन का खर्च अलग। रजिस्ट्रेशन और रोड टैक्स की कीमत हर राज्य में अलग अलग है। वहीं स्पेयर्स पर 30 से 33 प्रतिशत ड्यूटी लगाई जाती है।