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जयपुर

बोझ समझ अपनों ने लावारिस छोड़ा, वो बन गए विदेशियों के आंख के तारे, संदेश आया खुश हैं

रदेस में नए परिवार में रम गए गोद दिए बच्चे

जयपुरApr 29, 2019 / 01:03 pm

Deepshikha Vashista

Jaipur

बोझ समझ अपनों ने लावारिस छोड़ा, वो बन गए विदेशियों के आंख के तारे, संदेश आया खुश हैं

जया गुप्ता / जयपुर. सात समन्दर पार के देशों से खुशी की खबर आई है। अपनों की ओर से त्यागे गए जिन अनाथ बच्चों को पिछले 2 साल में जयपुर से गोद दिया गया, वे नए परिवार में रम गए हैं। खुशी-खुशी अपने परिवार के साथ रह रहे हैं। यहां जिन्हें बोझ समझकर लावारिस छोड़-फेंक दिया गया था, वे अब नए माता-पिता और नए परिवार की आंख के तारे हैं। इनमें से एक-डेढ़ साल के बच्चे अब चलने लगे हैं। तीन साल से बड़े बच्चों ने स्कूल जाना शुरू कर दिया है। खास बात यह है कि पिछले 2 साल में विदेशों में गोद दिए गए ये बच्चे विशेष श्रेणी के थे। इलाज के बाद इनकी शारीरिक स्थिति अब अच्छी बताई गई है।
कनाड़ा पढ़ने जाने लगी सीता

तीन साल की सीता को दिसम्बर 2018 में शिशुगृह से गोद दिया गया था। भारत में गोद लेने वालों ने पसंद नहीं किया, लेकिन कनाडा के दम्पती ने बच्ची को गोद लिया। अब 4 माह बाद आई पहली फॉलोअप रिपोर्ट के अनुसार बच्ची के माता-पिता शिक्षण का कार्य करते हैं। बच्ची ने स्कूल जाना शुरू कर दिया है। वह माता-पिता के साथ खुश है। गौरतलब है कि सीता को सवा तीन साल पहले लावारिस छोड़ा गया था।
माल्टा मना पहला जन्मदिन

दिसम्बर 2018 में शिशुगृह से एक वर्षीय अनमोल को माल्टा निवासी नि:संतान दम्पती ने गोद लिया था। अनमोल अपने नए माता-पिता के साथ बहुत खुश है। परिवार ने सका नया नाम रखा है। वहां उसका पहला जन्मदिन भी मनाया गया। गौरतलब है कि अनमोल को नवंबर 2017 में जन्म के कुछ समय बाद ही सांगानेरी गेट स्थित महिला चिकित्सालय के पालने में छोड़़ दिया गा था। जांच में पता चला कि उसे किडनी संबंधी बीमारी थी, अब स्वस्थ है।
टेक्सास घुल मिल गई

डेढ़ साल की मिताक्षरा को अनमोल के साथ उसी दिन टेक्सास के दम्पती को गोद दिया गया था। हार्ट की बीमारी होने के बावजूद दम्पती ने बच्ची को गोद लिया। टेक्सास से आई पहली फॉलोअप रिपोर्ट के अनुसार बच्ची नए परिवार में घुल-मिल गई है। अब स्वस्थ भी है। गौरतलब है कि जुलाई 2017 में बच्ची को फागी थाना क्षेत्र में लावारिस छोड़ा गया था। बीमारी के कारण हरियाणा के एक परिवार ने उसे गोद लेने से मना भी कर दिया था।
फ्रांस ठीक हुई अब सेहत

शिशुगृह से दिसम्बर 2014 में 6 वर्षीय पार्थ को गोद दिया गया। हार्ट संबंधी बीमारी के कारण पार्थ को जन्म के बाद अपनों ने त्याग दिया था। छह साल का होने के बाद फ्रांस के दम्पती ने गोद लिया। उन्होंने नाम नहीं बदला, सरनेम जोड़ा। कुछ दिन पहले आई पार्थ की दसवीं फॉलोअप रिपोर्ट के अनुसार पार्थ 10 वर्ष का हो चुका है। स्वस्थ है, स्कूल जा रहा है। परिवार और अपने नए भाई-बहनों के साथ खुशी-खुशी रह रहा है।
यह है गोद लेने की प्रक्रिया

सबसे पहले कारा की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन करना होता है। इसमें माता-पिता को अपनी मेडिकल रिपोर्ट सहित अन्य दस्तावेज अपलोड करने होते हैं। ऐसे 3 राज्य चुन सकते हैं, जहां से बच्चा लेना है। लड़का, लड़की आदि की वरीयता देनी और राज्य दत्तक ग्रहण एजेंसी चुननी होती है। जो एजेंसी ऑनलाइन चुनते हैं, उसके अधिकारी घर आकर स्टडी करते हैं। वे परिवार का माहौल, आय का स्त्रोत आदि देखते हैं। परिवार बच्चा पालने में सक्षम है, इस बारे में सन्तुष्ट होने पर रिपोर्ट कारा की वेबसाइट पर अपलोड कर दी जाती है। इसके बाद से उनकी वेटिंग शुरू हो जाती है। माता-पिता की पसंद के अनुसार जैसे ही कोई बच्चा मिलता है, उसकी जानकारी उन्हें भेजी जाती है। ऑनलाइन ही पसंद कर बच्चा रिजर्व किया जा सकता है। दत्तक ग्रहण के बाद 2 वर्ष तक हर 6 माह में फॉलोअप रिपोर्ट ली जाती है। यही प्रकिया विदेशी माता-पिता के लिए भी है।
पिछले साल गोद लिए बच्चे

कुल गोद दिए : 55 बच्चे
विदेशों में गोद दिए : 5 बच्चे (सभी विशेष श्रेणी के, इनमें 3 लड़कियां, 2 लड़के)
(सभी नाम परिवर्तित)

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