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जयपुर

मैं इम्परफेक्शन को पंसद करने लगी हूं, इसकी भी अपनी एक ब्यूटी: सोनाली

– फ्लो के गार्ड ऑफ ऑनर कार्यक्रम में आईं सोनाली बैंद्रे- रखी दिल की बात, बताया नई जर्नी को कैसे कर रही हैं एंजॉय

जयपुरApr 23, 2019 / 06:19 pm

Jaya Sharma

SONALI

मैं इम्परफेक्शन को पंसद करने लगी हूं, इसकी भी अपनी एक ब्यूटी: सोनाली

जयपुर. एक समय था, जब मैं परफेक्शन में बिलीव करती थी, लेकिन कैंसर के बाद मुझे जब से नई जिन्दगी मिली है, तब से मेरा नजरिया भी बदल गया है। अब मुझे लगता है कि इम्परफेक्शन की भी अपनी एक ब्यूटी होती है। ये जरूरी नहीं है कि हर चीज परफेक्ट हो, लाइफ में बहुत सी चीजें १९-२० चलती रहती हैं। सोमवार को फिक्की लेडीज ऑर्गेनाइजेशन (फ्लो) के ‘गार्ड ऑफ ऑनरÓ कार्यक्रम में आईं एक्ट्रेस सोनाली बैंद्रे ने इसी तरह अपनी लाइफ की नई जर्नी को बयां किया। उन्होंने कहा, इस दौर में मैंने अनुभव भी किया है कि लाइफ में प्रॉब्लम्स को अगर सिंपल तरीके से डील किया जाए, तो चीजें आसान हो जाती हैं। कार्यक्रम को मॉडरेट फ्लो जयपुर चैप्टर प्रेसीडेंट निताशा चोरडि़य़ा ने किया।
फैमिली ने किया पूरा सपोर्ट
सोनाली ने कहा कि जब मुझे कैंसर डिटेक्ट हुआ, तो मेरे इनलॉज से लेकर हसबैंड सभी ने मेरा सपोर्ट किया। मुझे लगता है कि इस तरह की सिचुएशन में सबसे जरूरी यह है कि आपकी फैमिली सपोर्टिंग होने के साथ स्ट्रॉन्ग रहे। मेरे हसबैंड गोल्डी ने एक बात मुझसे कही ‘डील विद टुडेÓ, जिसने मुझे काफी स्ट्रॉन्ग बनाया। उन्होंने कहा कि सोनाली अभी आज को डील करो, फ्यूचर में क्या होगा, उसे बाद में देखेंगे।
पढऩे का है शौक
‘सोनाली बुक क्लबÓ को लेकर हुई बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि मुझे बचपन से ही बुक पढऩा पसंद है। मेरे पिता ट्रांसफरेबल जॉब में थे, तभी से ट्रैवल के दौरान मेरा बुक लव बढ़ा। मेरी लाइफ में मोटिवेट करने में भी बुक्स ने काफी मदद की। डिजीज के दौरान एक बुक से जुड़ा किस्सा मेरे लिए बेहद मार्मिक है। दरअसल इस दौरान मैंने और बेटे ने एक किताब को एक साथ पढ़ा। इस बुक को पढ़कर बेटे का इसे हम तीनों की लाइफ से रिलेट करना गोल्डी और मेरे लिए अलग अनुभव था। उस बुक की कहानी एक नन्हे ड्रमर के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसके भाई को कैंसर होता है। ये भी इत्तेफाक है कि मेरे बेटे को ड्रम प्ले करना बेहद पसंद है। जब एक दिन बेटे ने गोल्डी से यह बात कही कि अभी हम लोग बुरे दौर से गुजर रहे हैं, तो पता चला कि वो उसने उस बुक से हम लोगों की लाइफ को रिलेट कर रहा था। इस वाकये ने हम तीनों को बेहद इमोशनल कर दिया।
मॉनिटर करना जरूरी
सोनाली ने कहा कि बच्चों को बुक रीडिंग हैबिट से जोडऩा चाहिए, लेकिन यह भी मॉनिटर करना चाहिए कि वो किस तरह की बुक पढ़ रहे हैं। अच्छा तो यह है कि हम बड़े उन्हें अच्छी बुक्स सजेस्ट करें। क्योंकि बुक्स हमें ब्रेवनेस, लॉयलटी जैसे कई चीजें सिखाती है।
विदेशों में है अच्छी केस स्टडी

विदेश में इलाज को लेकर सोनाली ने कहा कि मुझसे कई लोग यह सवाल पूछ चुके है कि मैं इलाज के लिए विदेश क्यों चुना? मैंने और पति ने अनुभव किया कि इंडिया सिर्फ एक चीज में यहां पीछे है, वो है केस स्टडी। विदेशों में हर तरह के कैंसर की अलग केस स्टडी है। मेरा मानना है कि सवा सौ करोड़ वाले हमारे देश में भी अच्छी केस स्टडीज डवलप हो सकती हैं, मैं चाहती हूं कि यह डवलप हो, ताकि लोगों को इसका फायदा मिले। कैंसर काउंसलिंग को लेकर सोनाली ने कहा कि पेशेंट से ज्यादा केयरटेकर की काउंसलिंग ज्यादा इंपॉर्टेंट है, क्योंकि पेशेंट मूड स्विंग जैसे कई स्थितियों से गुजरते हैं। ऐसे में केयरटेकर किस तरह इन परिस्तिथियों से डील करे, यह उन्हें मालूम होना चाहिए।
लाइफ से जुड़ा हैशटैग
सोनाली ने कहा कि कैंसर से लडऩे के बाद मेरी लाइफ के साथ हैशटैग जुड़ गया है, मुझे सोशल मीडिया पर लोगों का बहुत प्यार मिला है। इसलिए अब काफी पोस्ट करती हूं। इसके अलावा बच्चों के साथ रहना, गेम्स खेलने जैसी कई एक्टिविटीज में इनवॉल्व रहना भी अब मुझे काफी पसंद है।P

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