
राज्य चाहें तो कम लागत में बन सकता है चंबल एक्सप्रेस वे
कोटा। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने कहा कि राज्य चाहें तो हाईवे (highway) कम लागत में बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि चंबल एक्सप्रेस वे (Chambal Express Way) प्रोजेक्ट को जल्द पूरा करने और लागत कम करने में केंद्र राज्यों की मदद चाहता है। मध्यप्रदेश इस परियोजना के लिए पहले ही खनिजों की रॉयल्टी (Royalty of minerals) पर छूट प्रदान कर चुका है।
गडकरी ने उम्मीद जताई कि चंबल एक्सप्रेस वे प्रोजेक्ट परियोजना सामग्री पर रॉयल्टी और कर छूटों से 1000 करोड़ रुपए से ज्यादा की बचत होगी। केंद्रीय मंत्री ने सुझाव दिया कि जिन राज्यों से होकर यह सड़क गुजरेगी, उनके मुख्यमंत्रियों को राज्य स्तरीय उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक कर मुद्दों को सुलझाए। इससेकम लागत पर तेजी से परियोजना आगे बढ़ सकेगी। गडकरी ने पिछले दिनों चम्बल एक्सप्रेस वे का विस्तार श्योपुर से कोटा तक करने की घोषणा की थी। प्रोजेक्ट की समीक्षा के बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को जानकारी दी कि कोटा को भी प्रोजेक्ट से जोड़ा है। साथ ही सुझाव दिया कि क्षेत्र में बेहतर समन्वय और प्रगति के लिए, चंबल विकास प्राधिकरण का गठन किया जा सकता है। इसके माध्यम से राज्य वन, पर्यावरण और भूमि अधिग्रहण के मुद्दों को सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर सुलझाएंगे तो परियोजना जल्द पूरी होगी। मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और राजस्थान से गुजरते हुए भिंड को कोटा से जोडऩे की 8200 करोड़ रुपए की परियोजना प्रस्तावित है। यह स्वर्णिम चतुर्भुज के दिल्ली-कोलकाता गलियारे, उत्तर-दक्षिण गलियारे, पूर्व-पश्चिम गलियारे और दिल्ली-मुंबई-एक्सप्रेस-वे के साथ भी क्रॉस कनेक्टिविटी भी प्रदान करेगा। यह मध्यप्रदेश के रास्ते कानपुर से कोटा तक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करेगा और फिर दिल्ली-मुंबई कॉरिडोर से जुड़ेगा।
फैक्ट फाइल---
2 साल में परियोजना पूरी करने का लक्ष्य
404 किमी लंबा होगा चंबल एक्सप्रेस वे
8200 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान
Published on:
06 Jul 2020 12:19 am
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