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जयपुर

कोरोना महामारी के मानसिक अवसाद में हैं तो ‘हैल्प‘ लें

– चिंताजनक हालातों में मानसिक स्वास्थ्य पर भी दें ध्यान- कई साइकोलॉजिस्ट दे रहे ऑनलाइन काउंसलिंग- बच्चों के दिमाग पर भी हो रहा असर

जयपुरSep 15, 2021 / 04:38 pm

Tasneem Khan

If you are in mental depression due to corona epidemic, then take 'help'

If you are in mental depression due to corona epidemic, then take ‘help’

Jaipur कोरोना महामारी ने जहां हर किसी को शारीरिक तौर पर काफी प्रभावित किया है, उतना ही मानसिक तौर पर भी नुकसान किया है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में अवसाद की स्थिति है। खासकर प्राथमिक स्कूलों के बच्चे डेढ़ साल से घर में बंद हैं। उनके खेलने से लेकर दोस्तों से बात तक बंद हो गई है। क्लासरूम मोबाइल तक सिमट रहे हैं। वहीं मोबाइल स्क्रीन पर ज्यादा वक्त बिताने से बच्चों और युवाओं में कई लाइफस्टाइल प्रॉब्लम सामने आ रही हैं। इन्हीं में से एक है साइकोलॉजिकली इफेक्ट। इससे हर कोई जूझ रहा है। पूरी दुनिया ने इस समय मानसिक अवसाद को कोरोना समय के साइड इफेक्ट के तौर पर इंगित किया है। इसलिए अब राजस्थान में भी कई साइकोलॉजिस्ट ऑनलाइन काउंसलिंग कर रहे हैं। इसके लिए अब स्वयंसेवी संस्थाएं तक हैल्पलाइन नंबर जारी कर रही हैं, ताकि लोगों को पेनडेमिक के अवसाद से बाहर निकाला जा सके।
बात करने से बनती है ‘बात‘
कोरोना की संभावित तीसरी लहर से भी लोग डरे हुए हैं और बच्चों को घर के बाहर नहीं निकाल रहे। वहीं दूसरी वजह बच्चों के लिए टीका ना होना भी है। बच्चों के लिए होम आइसोलेशन आसान नहीं है। परिवार का साथ भले ही मिले, लेकिन चारदीवारी के भीतर एक समय बाद लोगों को घुटन होती है। इससे उन्हें बाहर लाने के लिए उनसे बात करना जरूरी है, उनकी काउंसलिंग जरूरी है। यह कहना है साइकोलॉजिस्ट डॉ. मनीषा गौड़ का। मनीषा गौड़ कहती हैं कि ऐसे अवसाद के समय में हैल्पलाइन की बेहद जरूरत थी, वो जारी की है। उसके बाद उस पर बच्चों से लेकर युवा, प्रौढ़, बुजुर्गों तक के कॉल आ रहे हैं। बस जरूरत उनकी परेशानियों को सुनने की है। मैं बच्चों को और सभी को ध्यान, योग की सलाह देती हूं। इससे ब्रीदिंग पावर तो बढ़ती ही है, तनाव भी दूर रखता है। वहीं म्यूजिक सुनना, क्राफट बनाना या जो भी शौक हैं, उन्हें निखारने में समय लगाएंगे तो आइसोलेशन भी आसानी से पूरा होगा।
डर ने घेर लिया है…
इस समय में कोरोना को लेकर गलत जानकारियों के कारण लोग डरे हुए हैं। जिंदगी को लेकर होपलेस हो रहे हैं। एक अनचाहा डर उन्हें सता रहा है। यह कहना है सीनियर स्पेशलिस्ट, सायकायट्रिक डॉ. राजेश शर्मा का। वे कहते हैं कि कोरोना फोबिया, फीयर, एंजायटी, इन्सोमनिया जैसी शिकायतें हैल्पलाइन पर कर रहे हैं। डर के मारे लोग बार-बार कोरोना टेस्ट करवाने लगे हैं। हम लोगों को यही कहते हैं कि सही जानकारी रखने का प्रयास करें। कोरोना का मतलब मौत माना जा रहा है, जबकि यह सकारात्मक व्यवहार के साथ, सही उपचार से ठीक हो जाता है। उपचार पर विश्वास करते हुए लाइफ स्टाइल को नॉर्मल करें। मनो चिकित्सा केंद्र की हैल्पलाइन ‘मन संवाद‘ पर कोरोना के अवसाद को लेकर लगातार कॉल आते हैं। हम उन्हें इससे बचने के उपाय बता रहे हैं।
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