scriptइंसानियत का जज्बा पैदा करना है तो कुरआन को समझना होगा | If you want to create the spirit of humanity, then the Quran has to un | Patrika News
जयपुर

इंसानियत का जज्बा पैदा करना है तो कुरआन को समझना होगा

जयपुर शहर मुफ्ती मोहम्मद जाकिर नोमानी ने रमजान की बताई अहमियत

जयपुरMay 19, 2020 / 06:03 pm

Abrar Ahmad

demo image

demo image

जयपुर. इस बार रमजान में मस्जिदों में तरावीह नहीं हो पाईं, लेकिन घरों पर भी लोगों ने जमकर कुरआन की तिलावत की है। रमजान के इस मुबारक मौके पर पत्रिका ने बात की जयपुर शहर मुफ्ती मोहम्मद जाकिर नोमानी से। नोमानी ने कहा, आमतौर पर मस्जिदों में 26 रोजे हो जाने पर 27वीं तरावीह में कुरआन पाक पूरा किया जाता है। इस रात में शबे कद्र होने का ज्यादा इमकान (उम्मीद) है। इसलिए उलेमा ने लिखा है कि रमजान की 27वीं रात में कुरआन पूरा करना अच्छा है।
मुफ्ती ने बताया कि कुरआन पाक का हक यह है कि उसकी तिलावत की जाए, उसको समझा जाए, उस पर अमल किया जाए, उसके पैगाम को तमाम इंसानियत तक पहुंचाया जाए। कितनी हैरत और तआज्जुब की बात है कि इंसान दुनिया की हर किताब को ट्रांसलेट के जरिए समझ ले और सृष्टि के रचयिता का कलाम समझना मुमकिन ना हो। ईमान वाला हश्र के मैदान में अपने पालनहार के सामने खड़ा होगा जबकि उसने दुनिया की पूरी जिंदगी में उसकी भेजी हुई किताब को एक बार भी ना समझा होगा। कुरआन को समझने से तमाम इंसानियत के साथ भलाई करने, सबको एक मालिक का बंदा समझने की सलाहियत पैदा होती है। खत्म कुरान की मजलिस कि दुआ मकबूल (कुबूल) होती है।

Home / Jaipur / इंसानियत का जज्बा पैदा करना है तो कुरआन को समझना होगा

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो