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जयपुर

मास्टर प्लान की अनदेखी: रुके पड़े अवैध निर्माण में आई तेजी,छोटे-बड़े व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स हो रहे तैयार

सदर बाजार, नया बाजार और जयपुर रोड पर तैयार हो रहे व्यावसायिक कॉम्पेलक्स, अशोक बिहार में मंदिर की जमीन पर तैयार हो रहा अपार्टमेंट

जयपुरNov 24, 2017 / 12:03 am

satyendra porwal

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चौमूं (जयपुर)। वैसे तो नगरपालिका क्षेत्र के किसी भी मुख्य मार्ग, परकोटे के बाजार, वार्ड और कॉलानियों में बहुमंजिला रिहायशी और व्यावसायिक अवैध इमारतें देखी जा सकती हैं, लेकिन पिछले एक-दो महीने से इन अवैध निर्माणों में एकदम से तेजी-सी आ गई है। खासकर परकोटे के बाजार में बड़ी तेजी से अवैध निर्माण हो रहे हैं। फिर चाहे वो परकोटे की तंग गलियों में हों या फिर संकरे बाजारों में। बावड़ी गेट से लेकर रावण गेट तक मार्ग में तीन छोटे-बड़े व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स तैयार हो रहे हैं। वहीं जयपुर रोड और अन्य कई मुख्य मार्गों पर भी यही हाल है। खास बात ये है कि निर्माण का जितना हिस्सा अभी 10 से 15 दिनों में तैयार हुआ है, उतना पिछले एक महीने में भी नहीं हुआ। न तो इनमें कहीं मास्टर प्लान नजर आ रहा है और ना ही निर्माण संबंधी दूसरे जरूरी नियम कायदे।
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निर्माण के लिए तोड़ दी नहर की दीवार
जयपुर रोड से लगती गलियों में भी अवैध निर्माण फल-फूल रहे हैं। कृषि मंडी समिति की विवादास्पद जमीन के लगते हुए भी अवैध व्यावसायिक कॉम्पलेक्स का कार्य चल रहा है। यहां तो निर्माण कार्य में कोई बाधा नहीं आए, इसलिए नहर की दीवार को भी तोड़ दिया है। पुरातत्व वाली नहर की दीवार तोड़कर कृषि मंडी की जमीन की ओर दुकानों का दरवाजा निकाल दिया है। इस मॉल में न तो सेटबैक है और ना ही पार्किंग और अग्निशमन केन्द्र की एनओसी। बस ‘जिम्मेदारों’ की जेब भरने से निर्माण की इजाजत मिल जाती है। जेब भरते की जिम्मेदारों की आंखें बंद और अवैध निर्माण शुरू।
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खड़ा हो गया तीन मंजिला ढांचा
कस्बे के कई रिहायशी इलाकों में भी ऐसे निर्माण कार्य हो रहे हैं, जिनमें मास्टर प्लान का कहीं कोई लेना-देना ही नहीं। कचौलिया रोड स्थित जेडीए की कॉलोनी अशोक बिहार में भी ऐसा ही 16 फ्लैट वाला एक रिहायशी कॉम्पलेक्स तैयार हो रहा है। यह चार मंजिला रेजीडेंशियल कॉम्पलेक्स विवादों में भी है। रुक-रुक कर चोरी-छुपे हो रहे इस निर्माण से यहां तीन मंजिलें तैयार हो गई हैं और चौथी पर छत डालने की तैयारी है। उपजिला मजिस्ट्रेट कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार इस निर्माण के नक्शे में 10 फीट का सेटबैक दिखाया गया है, जबकि वास्तविकता में दो से ढाई फीट का सेटबैक छोड़ा गया है। नक्शे में 377.75 वर्गगज भूभाग पर निर्माण दिखाया जा रहा है, जबकि निर्माण 500 वर्गगज जमीन से ज्यादा है। विवाद के अनुसार यह निर्माण मंदिर माफी की जमीन पर किया जा रहा है।
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पहले रुका, फिर दुगनी रफ्तार से तैयार
रसूख और पैसा पास हो तो कस्बा क्षेत्र में कहीं भी कैसा भी निर्माण संभव है। इसका जीता जागता उदाहरण है बापू बाजार में बन रहा व्यावसायिक कॉम्पलेक्स। रुक-रुक कर तैयार हो रहे इस कॉम्पलेक्स के निर्माण कार्य ने पिछले एक महीने में बड़ी तेजी पकड़ी है। दिन-रात यहां मजदूर काम पर लगे रहते हैं। रात में छत डाली जाती है, तो दिन में लोहे का जाल बिछाने, पिलर खड़े करने जैसे दूसरे काम होते हैं। मास्टर प्लान का मजाक उड़ते देखना है, तो इस निर्माणाधीन मॉल पर नजर डाल लें। परकोटे के संकरे से बाजार में इसना बड़ा मॉल बनाने की इजाजत किसने दी, इसका जवाब किसी के पास नहीं। एक बार पालिका के तत्कालीन ईओ ने डीएलबी डायरेक्टर के निर्देश पर इसका कार्य रुकवा भी दिया था, लेकिन दो-चार दिन बाद फिर से यहां कार्य शुरू हो गया और अब मॉल के बाजार वाले हिस्से में तो दुकानें तैयार कर चालू भी करवा दी।
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जिम्मेदारों के पास नहीं जवाब
कस्बे में हो रहे अवैध निर्माणों की इस बंदरबांट में सभी का हिस्सा है। यही वजह है कि इस बारे में ‘जिम्मेदारों’ से पूछा जाता है, तो स्पष्ट जवाब तक नहीं मिलता। चूंकि नगरपालिका प्रशासन का अपना कोई मास्टर प्लान नहीं है, इसलिए उसे जेडीए के मास्टर प्लान के अनुसार बसावट करवानी है, लेकिन ऐसा न कभी हुआ। जब कभी पालिका की भूमि शाखा से व्यावसायिक भवन, कॉम्प्लेक्स, मॉल आदि को एनओसी देने या दूसरी कोई जानकारी मांगी जाती है, तो आनाकानी कर देते हैं। भूमि शाखा का लिपिक ऐसी जानकारी देते से कतराने लग जाता है। इसकी वजह है ‘जिम्मेदारों’ का डर। लिपिक पालिका के ‘जिम्मेदारों’ की बिना इजाजत जानकारी नहीं दे पाते।
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यहां तो पहले ही नियम-कायदे ताक पर
‘हम आंखें बंद कर लेंगे, जो करना है करो…। परनामी के इस बयान के साथ ही कृषि मंडी समिति की जमीन पर पार्किंग भी शुरू हो गई। उच्च न्यायालय के स्टे वाली इस जमीन पर पालिका अपनी जेसीबी तो पहले ही चला चुकी थी। अब बयान का ‘सम्मान’ करते हुए यहां पार्किंग भी शुरू करवा दी। रावला चौक में खड़े होने वाले अधिकांश चौपहिया वाहन पिछले कुछ दिनों से यहां पार्क किए जा रहे हैं। साथ ही स्वास्थ्य केन्द्र में आने वाले मरीज और उनके परिजनों के वाहन भी अब यहीं पर खड़े करने की व्यवस्था कर दी जाएगी। फिर चाहे इसके लिए जमीन की एक और दीवार ही क्यों ना तोडऩी पड़े।

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