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जयपुर

भारत में तेजी से बढ़ रहा है वन्यजीवों का अवैध व्यापार

वन्यजीवों का शिकार, कभी शौक कभी व्यापार2020 में खत्म हो जाएंगे दो तिहाई वन्यजीवकई प्रजातियां लुप्त होने की कगार परभारत में तेजी से बढ़ रहा है वन्यजीवों का अवैध व्यापार
 

जयपुरMar 03, 2020 / 01:23 pm

Rakhi Hajela

भारत में तेजी से बढ़ रहा है वन्यजीवों का अवैध व्यापार

भारत में तेजी से बढ़ रहा है वन्यजीवों का अवैध व्यापार

वल्र्ड वाइल्ड फंड एवं लंदन की जूओलॉजिकल सोसाइटी की रिपोर्ट के अनुसार 2020 तक धरती से दो तिहाई वन्य जीव खत्म हो जाएंगे। वन्य जीवों को दुनिया भर में खतरे का सामना करना पड़ रहा है और दुनिया भर के अवैध बाजारों में भारत की वनस्पति और जीव जन्तुओं की मांग लगातार जारी है। वन्य जीवों के अवैध व्यापार से कई प्रजातियां लुप्त होने के कगार पर हैं। दुनिया भर में संगठित वन्य जीव अपराध की श्रृंखलाएं फैलने के साथ यह उद्योग फल फूल रहा है। भारत में वन्य जीवों के अवैध व्यापार में काफी तेजी आई है। वन्यजीव दिवस पर वन्यजीवों के बढ़ते शिकार पर यह रिपोर्ट:
भारत में संरक्षित जंगली जानवरों का अवैध शिकार कोई नई बात नहीं है। वल्र्ड वाइल्ड फंड एवं लंदन की जूओलॉजिकल सोसाइटी की रिपोर्ट के अनुसार 2020 तक धरती से दो तिहाई वन्य जीव खत्म हो जाएंगे। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि समाप्त हो रहे जीवों में जंगली जीव ही नही बल्कि पहाड़ों, नदियों व महासागरों में रहने वाले जीव भी शामिल हैं। 1970 से अब तक इन जीवों की संख्या में तकरीबन 80 फीसदी की कमी आई है।
भारत वन्यजीव अपराध का बड़ा अड्डा
पर्यावरणविदों और विशेषज्ञों का मानना है कि जानकारी के अभाव, लालच, कम जोखिम और अधिक पैसे कमाने के मौके के चलते वन्य जीव अपराधों को बढ़ावा मिल रहा है। इस मामले में भारत बड़ा हॉटस्पॉट बन कर उभरा रहा है। बाघ और तेंदुए की खाल, उनकी हड्डी और शरीर के अन्य अंग, गैंडे के सींग, हाथी दांत, कछुए, समुद्री घोड़े, सांप का विष, नेवले के बाल, सांप की खाल, कस्तूरी मृग की कस्तूरी, भालू का पित्त और पिंजरे में रखे जाने वाले पक्षी जैसे पेराफीट ,मैना और मुनिया की तस्करी बढ़ी है।
स्टार कछुए की तस्करी सबसे अधिक
वर्ष 2018 में ट्रैफिक इंडिया द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2009 से 2017 तक भारत में कम से कम 5772 पैंगोलिन को अवैध व्यापार के रास्ते पकड़ा गया। पेटागोनियन समुद्री घोड़ा उन तीन समुद्री घोड़ो में से एक है जिसे उसके औषधीय गुणों के कारण तस्करी का शिकार बनाया जा रहा है। भारतीय स्टार कछुए की तस्करी विश्व स्तर पर अब सबसे अधिक की जाती है। साथ ही पालतू पशु के तौर पर इसकी सबसे अधिक मांग है।
इन वन्यजीवों का हो रहा शिकार
भारत में प्रमुख रूप से हाथी, गैंडे, तेंदुआ, नेवला, कछुए, टाइगर, समुद्री घोड़ा, कोरल आदि का अवैध रूप से शिकार हो रहा है। शिकारी जहां शेर, टाइगर या तेंदुए का शिकार उनकी हड्डियों, नाखून और खाल के लिए करते हैं। वहीं हाथी का उसके दांत और गैंडे का शिकार प्रमुख रूप से उसकी सींग के लिए करते हैं। अकेले गैंडे की एक किलो सींग की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 70 हजार डॉलर तक है।
1900 से अधिक शिकारियों की पहचान
वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो ने देश भर में ऐसे 1900 से ज्यादा शिकारियों की पहचान की है, जो वन्यजीवों के शिकार में लिप्त हैं। देश में सबसे ज्यादा गैंडे के 239 शिकारी हैं। इसके अलावा 186 पैंगोलिन के शिकारी, 185 टाइगर के शिकारी, 170 तेंदुए के शिकारी, 134 कछुए और 37 हिरन के शिकारी हैं। जो कि हर पल शिकार करने के लिए घात लगाए बैठे रहते हैं। चार साल में वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो ने 1800 से ज्यादा जब्तियां की हैं।
क्या हैं वन्यजीवों के शिकार के कारण

वन्य जीवों का अवैध व्यापार करके उनके महत्वपूर्ण अंगों से दवाओं का निर्माण किया जा रहा है जिसे स्वास्थ्यवद्र्धक नाम दिया जाता है। गैंडे, हिरण, बाघ आदि कई जानवरों के खाल और दांत से शक्तिवद्र्धक दवाओं का निर्माण किया जा रहा है।
इनके अंगों से जो दवा बनती है उसकी कीमत काफी अधिक होती हैं जो इनके व्यापार को और अधिक बढ़ावा देती है।
कई देशों में अनुसंधान के लिए भी वन्य जीवों के अंगों का इस्तेमाल किया जाता है। शोध की आड़ में वन्य जीवों का अवैध व्यापार होता है।

सजावट के लिए: प्राचीन समय में राजे महाराजे वन्य जीवों का शिकार करके उनके अंगों को अपने राजमहलों में सजावट के रूप में रखते थे लेकिन आजादी के बाद इस पर प्रतिबंध लग गया और इसके लिए दण्ड का भी प्रावधान किया गया। आज भी अवैध रूप से वन्य जीवों का शिकार करके या तस्करी करके धनाढ्य लोग अपने हवेलियों में इनके अंगों को सजावाट के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।
अभ्यारण्य में सही से निगरानी नहीं होना: वन्यजीवों के निवास स्थान सुरक्षित नहीं है। वहां के कर्मचारी ही शिकारियों से मिल जाते हैं और पैसे व मांस आदि की लालच में अवैध कारोबार में उनका सहयोग करते हैं, जबकि उन्हें इनकी सुरक्षा के लिए रखा जाता है।
वन्यजीवों के संरक्षण के लिए चलाया जा रहा यह अभियान बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन इसकी सफलता इस पर निर्भर करती है कि इसका क्रियान्वयन कैसे किया जा रहा है। वन्यजीवों को बचाने के लिए सरकार के साथ.साथ आमजन को भी आगे आना होगा क्योंकि निजी स्वार्थो के त्यागे बिना इन जीवों को बचाना नामुमकिन है।

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