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जयपुर

विश्वविद्यालयों को लेकर राजस्थान उच्च न्यायालय के महत्वपूर्ण आदेश

उच्च न्यायालय ने डीन के खिलाफ आदेश जारी करने पर रोक लगाते हुए कुलाधिपति, कुलपति सहित अन्य से मांगा जवाब
निजी विश्वविद्यालय के छात्र बैठ सकेंगे प्री पीजी परीक्षा में

जयपुरJun 05, 2020 / 10:58 pm

KAMLESH AGARWAL

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आरयूएचएस में नर्सिंग डीन विवाद उच्च न्यायालय पहुंचा

राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय आरयूएचएस में नर्सिंग डीन का मामला उच्च न्यायालय पहुंच गया है। उच्च न्यायालय ने कुलाधिपति के निर्देश पर नर्सिंग डीन के खिलाफ आदेश जारी करने पर रोक लगाते हुए कुलाधिपति, कुलपति, राज्य सरकार एवं अन्य से जवाब तलब किया है।
आरयूएचएस में नर्सिंग डीन पद पर नियुक्ति को लेकर काफी समय विवाद चल रहा है। नवीन कुमार पारीक को 27 नवंबर 2019 को नियु क्त किया गया था। पारीक ने कहा कि कुछ लोगों की शिकायत पर कुलाधिपति ने 19 दिसंबर को कुलपति को पत्र लिखकर निजी कॉलेज के प्रोफेसर को डीन नियुक्त करने पर स्पष्टीकरण मांगा। जिस पर आरयूएचएस ने साफ किया कि डीन नियुक्ती के लिए संबंधित विषय में प्रोफेसर होना आवश्यक है और सभी औपचारिकता पूरी होने की वजह से नियुक्त किया गया है लेकिन इसके बाद भी अप्रेल और मई में कुलाधिपति के पारीक को हटाने का निर्देश कुलपति को आदेश दिया। अधिवक्ता मोहित खंडेलवाल ने कहा कि कुलाधिपति नियुक्ती में दखल नहीं दे सकते हैं इसके लिए बोर्ड आफ मैनेजमेंट को अधिकार है और नियुक्ति पूरी तरह नियमानुसार है। जिस पर न्यायाधीश पंकज भंडारी ने नर्सिंग डीन के खिलाफ किसी भी तरह के विपरित आदेश जारी करने पर रोक लगाते हुए जवाब मांगा है।
निजी विश्वविद्यालय के छात्र बैठ सकेंगे प्री पीजी परीक्षा में

राजस्थान उच्च न्यायालय ने निजी विश्वविद्यालयों से कृषि विषय में स्नातक करने वाले छात्रों को राहत दी है। न्यायालय ने आईसीएआर एक्रीडेशन के बिना एग्रीकल्चर में स्नातक करने वाले छात्रों को प्री—पीजी परीक्षा में बैठाने के अंतरिम आदेश दिए हैं। महात्मा ज्योति राव फूले विश्वविद्यालय और ज्योति विद्यापीठ महिला विश्वविद्यालय ने राज्य सरकार के आदेश को चुनौती दी थी। जिसमें राज्य सरकार ने कहा था कि प्री—पीजी परीक्षा में केवल आईसीएआर एक्रीडेशन प्राप्त विश्वविद्यालय के छात्र ही शामिल हो सकेगें। इस आदेश को दोनों विश्वविद्यालय के साथ ही महर्षि अरविंद विश्वविद्यालय के 60 छात्रों ने अदालत में चुनौती देते हुए कहा कि उनको कॉलेज प्री परीक्षा के जरिए दिया गया है और सरकार के आदेश से पहले स्नातक की डिग्री हासिल कर चुके हैं। जिस पर न्यायाधीश पंकज भंडारी ने छात्रों को प्री पीजी परीक्षा में बैठाने के अतंरिम आदेश देते हुए सुनवाई छह सप्ताह के लिए स्थगित कर दी।

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