scriptकभी यहां भी गूंजती थी छुक-छुक की आवाज | In 1992 the railway track was uprooted, not handled the track for the future? | Patrika News
जयपुर

कभी यहां भी गूंजती थी छुक-छुक की आवाज

अगले माह रेल बजट पेश होना है। रेल मंत्रालय ने भी बजट को लेकर लोगों से ऑनलाइन सुझाव मांगे हैं। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी शनिवार को शाकम्भरी माता मंदिर सांभरलेक में आम बजट पर लोगों से सुझाव लिए। वहां भी लोगों ने ट्रेनों के विस्तार, रेलवे स्टेशनों का अपग्रेडेशन, रेल लाइन दोहरीकरण, ट्रेनों का ठहराव आदि के सुझाव दिए थे। क्षेत्र के लोगों को भी रेल बजट से कई उम्मीदें हैं। इन्हीं उम्मीदों को लेकर राजस्थान पत्रिका में शुरू किया जा रहा अभियान….

जयपुरJan 17, 2016 / 11:33 pm

Abhishek sharma

अगले माह रेल बजट पेश होना है। रेल मंत्रालय ने भी बजट को लेकर लोगों से ऑनलाइन सुझाव मांगे हैं। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी शनिवार को शाकम्भरी माता मंदिर सांभरलेक में आम बजट पर लोगों से सुझाव लिए। वहां भी लोगों ने ट्रेनों के विस्तार, रेलवे स्टेशनों का अपग्रेडेशन, रेल लाइन दोहरीकरण, ट्रेनों का ठहराव आदि के सुझाव दिए थे। क्षेत्र के लोगों को भी रेल बजट से कई उम्मीदें हैं। इन्हीं उम्मीदों को लेकर राजस्थान पत्रिका में शुरू किया जा रहा अभियान….
जयपुर से टोडारायसिंह तक चलती थी रेलगाड़ी
सरकार किसी भी प्रोजेक्ट की प्लानिंग भविष्य के मद्देनजर आगामी 20-30 वर्ष के लिए करती है, लेकिन जयपुर के नजदीक एक महत्वपूर्ण रेलमार्ग से मुंह फेरने में सरकार ने तनिक भी देरी नहीं की। जयपुर-टोडारायसिंह वाया फागी-डिग्गी रेलमार्ग सरकारों की आंख के आगे दम तोड़ता रहा। हद तो तब हो गई, जब बीसलपुर से यहां होकर जयपुर में पानी पहुंचाने की महत्वाकांक्षी योजना के दौरान भी इसे पुनर्जीवित करने पर विचार तक नहीं किया गया। जबकि आज इस क्षेत्र का हर वर्ग रेलवे सुविधा की मांग कर रहा है।
घाटे का सौदा बता 1992 में उखाड़ दिया था रेलवे ट्रैक
1992 में रेलवे ट्रैक को उखाडऩे से पहले क्षेत्र की भविष्य की संभावनाओं को क्यूं नजरअंदाज कर दिया गया यह सवाल आज क्षेत्र के हर खासोआम के जहन में है। हो सकता है उस समय यात्री भार नहीं मिला हो, लेकिन आज जहां राजधानी में मेट्रो दौड़ रही है और फागी-मालपुरा तक जेडीए व आवासन बोर्ड पहुंच गया है तो इस क्षेत्र में रेल सुविधा क्यों नहीं होनी चाहिए।
सूत्रों के अनुसार भारत सरकार ने प्रसिद्ध तीर्थस्थल डिग्गी कल्याण धाम को रेलवे लाइन से जोडऩे के लिए वर्ष 1952 में जयपुर-सांगानेर वाया फागी-डिग्गी-मालपुरा-टोडारायसिंह तक रेल लाइन बिछाकर ट्रेन चालू की थी। उस समय यातायात साधनों की कमी के चलते क्षेत्र के लोगों के लिए ट्रेन लाइफ लाइन बन चुकी थी। सांगानेर व जयपुर मजदूरी करने जाने वाले लोगों एवं डिग्गी कल्याणजी जाने के लिए सीधा व सस्ता साधन था, लेकिन करीब 23 साल पहले 1992 में मीटर गेज से ब्रॉड गेज में आमान परिवर्तन की अपेक्षा कर रेल मंत्रालय ने इसे घाटे का मार्ग बताकर बंद कर दिया और करीब एक दशक पहले रेलवे ट्रैक की जगह एलएंडटी कंपनी की ओर से बीसलुपर से जयपुर तक बिछाई गई और पाइप लाइन की देख-रेख के लिए सड़क बना दी गई।

यहां थे रेलवे स्टेशन
जयपुर के बाद बालावाला, चित्तोड़ा रेनवाल, पीपला, माधोराजपुरा, फागी, निमेड़ा, चोसला, डिग्गी कल्याण, मालपुरा, टोरड़ी व टोडारायसिंह गांवों के समीप रेलवे स्टेशन व कर्मचारियों के क्वार्टर बने हुए हैं। ट्रेन जयपुर से रवाना होकर बाइस गोदाम, सांगानेर, बालावाला, रेनवाल मांजी, भोजपुरा, फागी, निमेड़ा, चौसला, डिग्गी, मालपुरा, टोरडीसागर, कुकड़ होती हुई टोडारायसिंह तक जाती थी।
खण्डहर हो रही करोड़ों की सम्पत्ति
फागी, रेनवाल मांजी आदि जगह बनी टिकट बुकिंग, क्वार्टर, बालावाला स्टेशन पर दो आवास, बाण्यावाली में चार, रेनवाल मांजी में रेलवे स्टेशन कार्यालय व 25 आवास धूल फांक रहे हैं। स्टेशन के कीमती गेट व खिड़कियों को लोग उखाड़ ले गए। कमरों को चारा भरने के लिए काम ले रहे हैं।
सरकारी आवासों में किए गए अतिक्रमण को जल्द खाली करवाया जाएगा। रेनवाल मांजी स्टेशन पर बने सरकारी आवासों को क्षतिग्रस्त करने वाले समाजकंटकों की जानकारी लेकर कार्रवाई की जाएगी। बीसलपुर पेयजल लाइन की गश्त करने वाले कर्मचारियों को स्टेशन व आवासों की देखभाल करने के लिए पाबंद किया जाएगा।
– वी. के. बालाना, एक्सईएन डिविजन -2 बीसलपुर परियोजना, जयपुर

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