उल्लेखनीय है कि नगर परिषद के पास बड़ी फोगिंग मशीन थी। जिसे खराब हुए चार वर्ष से अधिक हो चुके हैं। ऐसे में जिला कलक्टर की अध्यक्षता में हुई मौसमी बीमारियों में हर दफा नई मशीन लाने की बात तो हुई, लेकिन खरीदी नहीं गई। हैरत की बात है कि अब तक कई जिला कलक्टर का तबादला भी हो चुका है और इधर, नगर परिषद ने भी बड़ी फॉगिंग मशीन की खरीद के मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया है।
गत वर्ष में नगर परिषद क्षेत्र में डेंगू के रोगियों की संख्या अधिक सामने आने पर हनुमानगढ़ नप ने उधार की फॉगिंग मशीन श्रीगंगानगर नगर परिषद से मंगवाई थी। हैरत की बात है कि पहले दिन फॉगिंग के लिए भेजने के लिए कर्मचारियों ने इसके साथ फोटो तक खिंचवाए थे। लेकिन नई मशीन खरीद की बात पर चुप्पी बरत गए। वर्तमान में नप के पास दो पोर्टेबल मशीन खराब हो चुकी हैं। इसलिए गत वर्ष से दो पोर्टेबल मशीनें नगर परिषद में एक किनारे में पड़ी हैं। दो मशीनों के माध्यम से बाइक पर बैठकर कर्मी फॉगिंग करने में लगे हैं।
सूत्रों की माने तो गत वर्ष में दो कर्मचारियों को बड़ी फॉगिंग मशीन लेने के लिए दिल्ली भेजा गया था। कर्मचारी मशीन लाने की बजाए जानकारी बटौर कर अनुमति लेने के लिए वापस हनुमानगढ़ लौट आए। इसके बाद अधिकारियों के बीच मशीन खरीदने के लिए मंथन हुआ तो छिड़काव का खर्च देख मामला ठण्डे बस्ते में डाल दिया। तब से लेकर अब तक नई मशीन खरीदने के लिए कोई प्रयास नहीं किया।
बड़ी फॉगिंग मशीन की कीमत छह से आठ लाख रुपए की है। इस मशीन का संचालन ट्रैक्टर के माध्यम से किया जाता है। बड़ी मशीन में एक बार में 95 लीटर दवा व 35 लीटर पेट्रोल डलता है। लागत व संचालन में खर्च अधिक होने के कारण समस्या जस की तस है। वो तब जब शहर का वित्तीय बजट 279 करोड़ है, ढाई करोड़ में पार्क का निर्माण और तीन करोड़ में दशहरा ग्राउंड का निर्माण नप की ओर से किया गया हो।