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जयपुर

चुनावी साल में सरकार को रूला न दे लहसन—प्याज

चुनावी साल में सरकार को रूला न दे लहसन—प्याज

जयपुरApr 02, 2018 / 10:22 am

PUNEET SHARMA

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चुनावी साल में सरकार को रूला न दे लहसन—प्याज
कृषि विभाग ने केन्द्र को भेजा लागत मूल्य पर खरीदने का प्रस्ताव
सरकार ने लहसन का 40 और प्याज का 6 रुपए प्रति किलो माना लागत मूल्य
जयपुर।
प्रदेश में इस बार लहसन और प्याज की बंपर फसल किसानों के साथ ही सरकार के आंसू न निकाल दे। क्योंकि इस बार प्रदेश मेें 85 हजार हेक्टेयर में लहसन और 60 हजार हेक्टेयर में प्याज की जबरदस्त फसल हुई है। हांलाकि इस बंफर फसल को सरकार किसानों से लागत मूल्य पर खरीदने के लिए केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेज चुकी है लेकिन जो लागत मूल्य सरकार ने लहसन और प्याज का माना है उससे कहीं ज्यादा खर्च किसानों को करना पडा है। सूत्रों के अनुसार सरकार ने लहसन की उत्पादन लागत 32 रुपए प्रति किलो और प्याज के लिए 6 रुपए प्रति किलो का प्रस्ताव भेजा है।
कृषि विभाग के अनुसार कोटा बांरा झालावाड और बूंदी में बहुतायत तौर पर लहसन की खेती की जाती है। हाडौती क्षेत्र के इन चार जिलों में 85 हजार हेक्टेयर लहसन की फसल उगाई गई है। ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार एक लाख बीस हजार मेट्रिक टन लहसन का उत्पादन होने की संभावना है। यह उत्पादन पिछले वर्ष के मुकाबले काफी ज्यादा है।
इसी प्रकार सीकर और अलवर में प्याज की फसल को बोया जाता है। इन दोनों जिलों में 60 हजार हेक्टेयर में प्याज की फसल है और 500 मेट्रिक टन प्याज के उत्पादन की उम्मीद है। हांलाकि विभाग ने लहसन और प्याज की खरीद के लिए उत्पादन लागत मूल्य ही भेजा है लेकिन केन्द्र सरकार लागत मूल्य में परिवहन का खर्चा भी जोड सकती है जिससे किसानों को थोडी राहत मिल जाए।
वैसे सरकार केन्द्र से लागत मूल्य स्वीकृत हो जाने के बाद जिलों में खरीद केन्द्र भी शुरू करवाती है जिससे किसानों को अपनी उपज बेचने में किसी तरह की परेशानी नहीं हो और वे बिचौलियों के चक्कर में नहीं आएं।

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